कोरोना संकट में पुलिसवाले न सिर्फ फ्रंटलाइन पर रह कर लोगों को सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करा रहे हैं बल्कि जरूरतमंदों का हाथ बंटाने के लिए आगे भी आ रहे हैं. पुलिस का ऐसा ही मानवीय चेहरा यूपी के बिजनौर से सामने आया है. यहां एक महिला की मौत के बाद उसकी अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट ले जाने वाले चार लोग तक नहीं मिले. महिला कोविड पॉजिटिव नहीं थी लेकिन कोरोना का खौफ इतना है कि अंतिम संस्कार के लिए न तो कोई पड़ोसी और न ही कोई रिश्तेदार आगे आए. ऐसे में महिला के बेटे ने पुलिस से मदद की गुहार लगाई.
पुलिसवालों ने मौके पर पहुंच कर सारा इंतजाम किया. अर्थी को कंधे देकर उन्होंने श्मशान घाट पहुंचाया. वहां महिला के बेटे के हाथों पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ. चिता के लिए लकड़ी आदि की व्यवस्था भी पुलिसवालों ने ही की.
दरअसल, बिजनौर के धामपुर की रहने वाली शीला देवी का रविवार को बीमारी के चलते देहांत हो गया. इससे 15 दिन पहले महिला के एक बेटे की मौत कोरोना की वजह से हुई थी. बेटे की मौत के बाद से ही शीला देवी सदमे में थीं. उनके दो ही बेटे हैं.
शीला देवी के निधन के बाद उनके दूसरे बेटे विकास शर्मा ने मां के शव को कंधा देने के लिए अपने सगे संबंधियों, पड़ोसियों को फोन करके बुलाया. लेकिन कोरोना वायरस के खौफ की वजह से कोई नहीं पहुंचा. शीला देवी के पार्थिव देह घंटों तक घर में रखा रहा. विकास ने फिर पुलिस को फोन कर सारी स्थिति बताई और मदद मांगी.
पुलिसकर्मियों ने फिर देर नहीं की. तत्काल कुछ पुलिसवाले पीपीई किट और मास्क लगाकर विकास के घर पहुंच गए. वे अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट ले गए. वहां उन्होंने लकड़ियां लगाकर महिला के लिए चिता तैयार की. फिर बेटे के हाथों महिला का अंतिम संस्कार हुआ.