कानपूर के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के गांव में पच्चीस साल बाद पहली बार गांव वाले अपनी मर्जी से प्रधान चुनेंगे. जब तक विकास दुबे जिंदा था तब तक उसके ही घर का कोई सदस्य गांव का प्रधान होता था या फिर उसकी मर्जी का कोई शख्स. पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद अब गांव वाले पहली बार अपनी मर्जी से प्रधान चुनेंगे.
(फाइल फोटो: PTI)
बिकरू गांव उस वक्त चर्चा में आया था जब कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने 2 जुलाई 2020 की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी. इसके बाद यूपी एसटीएफ ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को एनकांउटर में ढेर कर दिया था. अब बिकरू गांव का नजारा पूरी तरह से बदल चुका है. विकास दुबे के घर की दीवार पर गांव के पंचायत प्रधान प्रत्याशियों के पोस्टर लगे हैं. गांव में पच्चीस सालों में पहली बार ऐसा नजारा देखा जा रहा है. बिकरू गांव में 1995 में पहली बार विकास दुबे प्रधान बना था उसके बाद से प्रधानी उसके ही घर में रही.
(File Photo PTI/Screengrab from India Today video)
गांव वालों का कहना है कि अब वो अपनी मर्जी से वोट डालेंगे. पहले विकास दुबे के डर से वोट डाले जाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. बिकरू गांव में 1850 वोट हैं, जिसमें सभी जाति के वोटर शामिल हैं, इनमें ब्राह्मण वोटर सर्वाधिक है और मुस्लिम वोटर भी हैं. 1995 में विकास दुबे पहली बार ग्राम प्रधान चुना गया था. उसके बाद से उसने अपनी दबंगई से प्रधानी अपने कब्जे कर ली थी.
(फोटो- रंजय सिंह)
साल 2000 में अनुसूचित जाति की सीट पर विकास दुबे ने अपने यहां पर काम करने वाली गायत्री देवी को प्रत्याशी बनाया था और गायत्री देवी सिर्फ नाम की प्रधान थी. सब कुछ विकास के इशारे पर होता था. इसके बाद 2005 में जनरल सीट से विकास ने छोटे भाई दीपक की पत्नी अंजली को निर्विरोध प्रधान बनवा दिया था. 2010 में बैकवर्ड सीट होने पर विकास ने फिर अपने चेले रजनीश कुशवाहा को प्रधान की कुर्सी पर बैठाया था. साल 2015 में अंजली दुबे को दोबारा निर्विरोध प्रधान बना दिया था. प्रधान कोई भी बने लेकिन सबकुछ विकास दुबे के कहने पर ही होता था.
Amar Dubey (left) with Vikas Dubey (right). (File Photo: India Today)
विकास के रहते बिकरू गांव में कोई चुनाव लड़ने की सोच भी नहीं सकता था. पर अब 25 साल बाद गांव में लोकतांत्रिक तरीके से प्रधान पद के लिए वोटिंग होगी. इस बार गांव का छोटा दुकानदार भी चुनाव लड़ने का इरादा बना सकता है. प्रधान पद के प्रत्याशी चंद्रशेखर का कहना है कि इस बार निष्पक्ष माहौल में चुनाव होगा. पहले विकास दुबे जिसे भी चुन लेते थे, उसी को वोट दिया जाता था.
(फोटो- रंजय सिंह)