योगी सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में बयान दिया कि कोरोना की दूसरी लहर में एक भी इंसान की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई. इस बयान पर सियासी लड़ाई शुरू हो गई. अगर थोड़ा पीछे जाकर उस मंजर को याद करें तो न सिर्फ यूपी बल्कि पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी, अस्पताल में बेड्स की मारामारी, सड़कों पर लाइन लगाए मरीज और दवा की किल्लत से जूझते लोगों की तस्वीरें सामने आ जाती है. सरकार का दावा जो भी हो लेकिन हम आपको याद दिलाएंगे कोरोना की दूसरी लहर में किन मुश्किलों से आम लोग जूझ रहे थे. ये तस्वीर है 26 अप्रैल 2021 की. जब कोरोना की दूसरी लहर का सबसे दर्दनाक मामला आगरा से आया था. ताजनगरी में सांसों के संकट के उस दौर में रेनू सिंघल अपने पति को बचाने के लिए अपनी जान पर खेल गई थीं. महिला के पति को 4 हॉस्पिटल से बेड नहीं होने की वजह से खाली हाथ लौटा दिया गया था. पति को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. पत्नी ने उन्हें सीपीआर दिया, फिर भी शख्स की जान नहीं बच सकी. (फोटो- इंडिया टुडे)
पति को मुंह से सांस देती महिला, कार की छत पर पिता का शव! यूपी की दिल दहलाने वाली तस्वीरें
ये तस्वीर 2 मई, 2021 गाजियाबाद के इंदिरापुरम की है. यहां गुरुद्वारा के बाहर एक अस्थायी क्लिनिक में मुफ्त ऑक्सीजन की सुविधा मुहैया कराई जा रही थी. उस वक्त एक दिन में चार लाख तक केस आ रहे थे. 24 घंटों में 3500 से अधिक मौतें तक हुई थीं. (Getty Images)
ये तस्वीर 5 मई, 2021 की है. मुरादाबाद के TMU अस्पताल के आईसीयू में कोरोना संक्रमित मरीज को सांस के लिए ऐसे संघर्ष करना पड़ा था. मुरादाबाद का एक मामला और भी काफी चर्चाओं में था. 24 अप्रैल को बेड की आस में लखनऊ से इलाज के लिए मुरादाबाद आए वसीम शेख नाम के शख्स ने अस्पताल के गेट पर एंबुलेंस में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. (Getty Images)
ये तस्वीर 26 मई, 2021 की है. कानपुर में ऑक्सीजन सपोर्ट पर एक COVID-19 संक्रमित बच्चे को अस्पताल में भर्ती होने कराने के लिए परिजनों को घंटों इंतजार करना पड़ा था. बड़ी मुश्किल के बाद बच्चे को बेड मिल पाया था. (फोटो-पीटीआई)
ये तस्वीर 23 अप्रैल 2021 राजधानी लखनऊ की है. जब ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा था तब लखनऊ में ऐसे मरीजों के रिश्तेदारों को लाइन में अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था. (फोटो-पीटीआई)
ये तस्वीर 22 अप्रैल 2021 नोएडा की है. ऑक्सीजन और बेड की मारामारी के बीच ये युवक अपने रिश्तेदार के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर ले जा रहा था. दूसरी लहर में ऑक्सीजन सिलेंडर की काला बाजारी भी खूब चल रही थी. पुलिस आए दिन ऐसे ''जान के दुश्मनों की धर पकड़ कर रही थी. (Getty Images)
24 अप्रैल 2021 गाजियाबाद: भारी किल्लत के बीच इंदिरापुरम में एक गुरुद्वारा कमेटी द्वारा ऑक्सीजन की सुविधा मुहैया कराई जा रही थी. ये महिला अपने घर के बुजुर्ग को लेकर वहीं पहुंची थी. क्योंकि अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए थे. (Getty Images)
ये तस्वीर 5 मई 2021 की है. जब अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की किल्लत चल रही थी, तब इस बच्चे को गाजियाबाद में एक सिख संगठन द्वारा मुफ्त ऑक्सीजन मुहैया कराई गई थी. (फोटो-पीटीआई)
ये तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की है. दूसरी लहर के दौरान जब लाशों को जलाने के लिए लंबी लाइनें लगती थीं तब कई लाशें गंगा में भी तैरती दिखी थीं. 13 मई को वाराणसी में गंगा नदी के आप-पास स्थानीय पुलिस भी शवों का पता लगा रही थी.
ये तस्वीर 29 अप्रैल 2021, कानपुर की है. कोरोना की दूसरी लहर में अपनों को खोने वाले भैरवघाट पर अंतिम संस्कार करने के लिए ऐसे नजर आए थे.
26 अप्रैल को दर्दनाक हादसा: दूसरी लहर के दौरान आगरा के पारस अस्पताल में 22 लोगों की मौत हो गई थी. उस वक्त पारस हॉस्पिटल के मालिक डॉ. अरिंजय जैन का एक वीडियो सामने आया था. इसमें डॉक्टर को ये कहते हुए सुना जा रहा था कि 26 अप्रैल को अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई थी. इस वजह से 5 मिनट के लिए ऑक्सीजन सप्लाई बंद कर दी. इससे 22 मरीजों की मौत हो गई. इस मामले में डॉ. अरिंजय ने ये तो माना था कि आवाज उन्हीं की है, लेकिन वो सारे आरोपों को खारिज कर दिया था. बाद अस्पताल को सील कर दिया गया था.
बता दें कि गुरुवार को विधान परिषद में कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने ऑक्सीजन की कमी से मौतों की जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में सरकार ने ये बात कही है. इस पर समाजवादी पार्टी के सदस्य उदयवीर सिंह ने कहा कि आगरा के पारस अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मौत के मामले में सरकार ने कार्रवाई की है, फिर सरकार यह झूठ कैसे बोल सकती है? सरकार के इस दावे के बाद विपक्ष अटैकिंग मोड में आ चुका है. वहीं, सोशल मीडिया पर भी दावे को लेकर नाराजगी जाहिर की जा रही है.