पूर्व सांसद दिवंगत फूलन देवी के खिलाफ विचारधीन मुकदमा स्पेशल जज डकैती कोर्ट ने खत्म कर दिया है. डकैती का यह मुकदमा भोगनीपुर कोतवाली में दर्ज हुआ था, जिसमें फूलन और दस्यु विक्रम को आरोपी बनाया गया था. 25 जुलाई 2001 को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बावजूद इसके अदालत में वो जिंदा थीं. लेकिन मंगलवार को अदालत में भी वो मृत हो गईं.
(फाइल फोटो: Getty)
दरअसल 1980 में बीहड़ों में फूलन देवी की दबंगई से हर कोई वाकिफ था. उन्हीं दिनों भोगनीपुर कोतवाली के किसुनपुर गांव में 41 साल पहले डकैती डाली गई थी. इस मामले में फूलन देवी के खिलाफ मुकदमा चल रहा था. यह मुकदमा 25 जुलाई 1980 को फूलन देवी, विक्रम मल्लाह और गिरोह के खिलाफ दर्ज हुआ था. स्पेशल जज डकैती कोर्ट ने मंगलवार को मुकदमा खत्म करने का आदेश दिया.
12 अगस्त 1980 को फूलन देवी के गिरोह की पुलिस साथ मुठभेड़ हुई, जिसमें वो तो बच गई लेकिन विक्रम मल्लाह मारा गया था. कोर्ट ने उसके खिलाफ केस को 1998 में खत्म कर दिया था. इसके बाद परिस्थितियां बदलीं और फूलन देवी ने आत्मसमर्पण करने के बाद राजनीति में कदम रख दिया था और सांसद बन गई थीं.
(फाइल फोटो: Getty)
जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव पोरवाल ने बताया कि गुढ़ा के पुरवा के प्रधान का फूलन की मौत का प्रमाणपत्र व अन्य साक्ष्यों के परीक्षण के बाद अदालत ने मंगलवार को फूलन देवी पर चल रहा मुकदमा खत्म करने का आदेश दे दिया.
कानपूर से नया जिला कानपूर देहात बन गया और फूलन देवी का डकैती केस भी शहर से कानपूर देहात के एंटी डकैती कोर्ट में आ गया. बीस साल पहले दिल्ली में 25 जुलाई 2001 को फूलनदेवी की हत्या कर दी गई थी इस मामले पर शेर सिंह राणा को गिरफ्तार किया गया था.
बता दें, 14 फरवरी 1981 को फूलन के गिरोह ने बेहमई गांव में 26 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोलियां से भून दिया था. इसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी और बाकी को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया था. इसके बाद से यमुना बीहड़ में डकैत गिरोह की सरदार फूलन ने अपना खौफ हर किसी के मान में पैदा कर दिया था.