सुदीक्षा भाटी की मौत का सच सातवें दिन सामने आ गया है. पुलिस ने सिकंदराबाद से लेकर औरंगाबाद तक रास्ते में लगे कैमरों की फुटेज को खंगाला. करीब 10719 रजिस्टर्ड बुलेट मोटरसाइकिलों के बारे में जानकारी जुटाई गई. इसके अलावा 1000 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई. तब जाकर मौत का सच हर किसे के सामने आया. पुलिस को इस केस को सुलझाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.
बता दें, सुदीक्षा भाटी की मौत की गुत्थी को सुलझाने के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. एसआईटी ने सिकंदराबाद टोल प्लाजा से लेकर औरंगाबाद घटनास्थल तक लगे सीसीटीवी कैमरों के बारे में जानकारी जुटाई. पूरे रास्ते पर 12 जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगे होने का पता चला. इन कैमरों की फुटेज को खंगाला गया तो घटना का राज खुलता चलता गया. हर कैमरे में बुलेट मोटरसाइकिल आगे तो उससे पीछे सुदीक्षा की बाइक दिखाई दी.
पुलिस के अनुसार बुलेट मोटरसाइकिल सवार जिन दोनों आरोपियों पर छेड़छाड़ और स्टंट दिखाने का आरोप लगा है. उसमें से बुलेट चला रहे आरोपी दीपक ने हेलमेट लगा रखा था, जबकि पीछे बैठे दूसरे आरोपी राजू की उम्र करीब 55 साल है. राजू ने अपने हाथ में एक बैग पकड़ रखा था. फुटेज की जांच में कहीं भी स्टंट दिखाए जाने की भी पुष्टि नहीं हुई है.
पुलिस का कहना है कि पकड़ा गया आरोपी दीपक सोलंकी एक कांट्रेक्टर के यहां काम करता है. 10 अगस्त को दीपक चौधरी अपने परिचित राजमिस्त्री राजू को लेकर काली बुलेट से निर्माणाधीन साइट पर जा रहा था. औरंगाबाद चरौरा मुस्तफाबाद के पास उसकी बुलेट मोटरसाइकिल के सामने अचानक हरे रंग का ऑटो और भैंसा बुग्गी आ गई थी. इसकी वजह से उसे अचानक ब्रेक लगाना पड़ा. पीछे से आ रही सुदीक्षा भाटी कि बाइक बुलेट से टकरा गई. इससे छात्रा सड़क पर जा गिरी और उसकी मौत हो गई.
पुलिस ने बताया कि यह मामला इतना बढ़ गया था कि दीपक सोलंकी डर गया था. किसी को कुछ पता नहीं चले इसलिए उनसे बाइक को मॉडीफाइ करा लिया था. जातिसूचक लिखी नंबर प्लेट को बदलकर सिंपल नंबर प्लेट लगवा दी. इतना ही नहीं, टायर और सायलेंसर भी बदलवा दिया गया. जिससे उसकी पहचान नहीं हो सके. लेकिन पुलिस उस तक पहुंच गई.