2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने जमीन पर काम करना अभी से शुरू कर दिया है. पार्टी की तरफ से उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति को और ज्यादा मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है. जिन सीटों पर पिछले चुनावों में हार हुई है, उन पर खास ध्यान दिया जा रहा है.
इसी कड़ी में पार्टी ने शुक्रवार को लखनऊ में कमजोर बूथों को लेकर एक अहम मीटिंग की है. इस मीटिंग में पार्टी के कई दिग्गज नेता शामिल हुए. बैठक में तमाम सांसदों को बूथ सशक्तिकरण का पाठ पढ़ाया गया. इस बात पर भी जोर रहा कि जहां पर पार्टी की स्थिति थोड़ी कमजोर है, उन बूथों को a b c d की कैटेगरी में बांट दिया जाए. ऐसा कर हर बूथ पर पार्टी की पैनी नजर रहे और कमजोर सीट को भी जीत में तब्दील किया जा सके.
ये भी जानकारी सामने आ रही है कि बीजेपी ने साफ कर दिया है कि दोनों सांसदों और विधायकों को इस काम पर अभी से जुटना होगा. पहले कमजोर बूथों को चिन्हित किया जाए और फिर तत्काल प्रभाव से उन्हें मजबूत करने पर जोर रहेगा. बताया जा रहा है कि सांसदों को 100 और विधायकों को 25 कमज़ोर बूथों पर काम करना होगा. इसके अलावा एक लोकसभा क्षेत्र में 80 से 100 लोगों की टोली रहने वाली है.
वैसे पिछले चुनावों पर भी नजर डालें तो बूथ सशक्तिकरण पर पार्टी का हमेशा से खास जोर रहा है. इस एक रणनीति के दम पर बीजेपी ऐसी व्यूहरचना बनाने के प्रयास में रहती है जिससे जीत भी सुनिश्चित रहे और जमीन पर संगठन भी मजबूती से काम करता रहे.
मिशन 2024 के अलावा यूपी की सियासत इस समय उपचुनाव की वजह से भी उबाल मार रही है. आजमगढ़ और रामपुर की लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव होने हैं. 23 जून को दोनों सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. इस चुनाव में बीजेपी ने आजमगढ़ से निरहुआ को अपना उम्मीदवार बनाया है तो सपा की तरफ से अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव मैदान में उतरे हैं. बसपा ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को अपना प्रत्याशी नियुक्त किया है.