उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों की तैयारियां अभी से ही शुरू हो चुकी हैं. सत्तारूढ़ योगी सरकार ने अपनी चुनावी नैय्या पार लगाने के लिए कई नारों में हवा भर दी है. बेशक कई बड़े वादों को सीएम योगी आदित्यनाथ मूर्तरूप देने में कामयाब रहे हैं, लेकिन कई वादे अब भी ऐसे हैं जिनके पूरे होने का इंतजार जनता कर रही है. इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां एक साथ पांच एक्सप्रेस-वे और पांच इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन रहे हैं. एक्सप्रेस-वे से लेकर, गांव, ब्लॉक, तहसील, जिला, प्रदेश मुख्यालय, प्रदेश से जुड़ने वाले दूसरे प्रदेशों और देश की सीमाओं तक जाने वाली सड़कों को बनाया जा रहा है.
यूपी की उड़ान का अंदाजा दिलाने के लिए यह बात ही काफी है कि राज्य में अब आठ हवाई अड्डों से उड़ान भरी जा रही है, इसके साथ ही 13 और नए हवाई अड्डे भी बनाए जा रहे हैं. इसके अलावा मेरठ-गाजियाबाद-दिल्ली रैपिड रेल परियोजना सहित 10 शहरों में मेट्रो, ग्रेटर नोएडा में विश्वस्तरीय मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स हब और मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब बन रहा है. सरकारें आईं और चली गईं पर पश्चिमी यूपी विकास से कोसों दूर रहा. चाहे अखिलेश यादव की सरकार रही हो या मायावती की पश्चिमी यूपी को ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ. योगी सरकार में आ रही परियोजनाएं पश्चिमी यूपी के लिए अवसर की तरह हैं.
1 अप्रैल 17 से फरवरी 21 तक बनी 13,189 किमी नई सड़क
अगर सड़कों की बात करें तो यूपी में एक अप्रैल 2017 से फरवरी 2021 तक 13,189 किमी नई सड़कें बनाई गई हैं. 13,613 किमी सड़कों का चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण, 3,32,804 किमी सड़कों को गड्ढा मुक्त और 428 छोटे-बड़े पुल बनाए गए हैं. ऐसे ही तहसील और विकास खंड मुख्यालयों को दो लेन सड़क से जोड़ने, प्रदेश से जुड़ने वाले अन्य प्रदेशों और देश की सीमाओं तक जाने वाले 76 सड़कों के लिए 1599 करोड़ की लागत से 840 किमी सड़कें बनाई जा रही हैं.
राज्य सरकार ने बजट में वित्तीय वर्ष 2021-22 में लोक निर्माण विभाग की सड़कों और पुलों के लिए 12,441 करोड़ दिए हैं. इसमें सड़कों और पुलों के रखरखाव के लिए 4,135 करोड़, गांवों और बसावटों को पक्के मार्गों से जोड़ने के लिए 695 करोड़, विश्व बैंक की मदद से उत्तर प्रदेश कोर रोड नेटवर्क परियोजना के तहत सड़क बनाने के लिए 440 करोड़, एशियन डेवलपमेन्ट बैंक सहायतित उत्तर प्रदेश मुख्य जिला विकास परियोजना के तहत सड़क बनाने के लिए 208 करोड़ और रेलवे उपरिगामी सेतुओं के निर्माण के लिए 1192 करोड़ की व्यवस्था प्रस्तावित है.
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— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 19, 2021
तेजी से चल रहा है पूर्वांचल एक्सप्रे-वे का काम
लखनऊ से गाजीपुर जिले तक 22,496 करोड़ की लागत से बन रहे 341 किमी लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का काम करीब 80 फीसदी हो चुका है और मेन कैरिज वे मई से खुलने की पूरी संभावना है. इसी तरह सुल्तानपुर जिले के कुड़ेभार में 3.2 किमी लंबी एयर स्ट्रिप भी लगभग तैयार है. एक्सप्रेस वे छह लेन चौड़ा होगा और आठ लेन तक विस्तार दिया जा सकता है. यह एक्सप्रेस-वे लखनऊ के सुल्तानपुर रोड स्थित चांदसराय गांव से शुरू होकर यूपी-बिहार की सीमा से 18 किमी पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 पर स्थित ग्राम हैदरिया पर समाप्त होगा. यह बताना जरूरी है कि योगी सरकार ने बजट में वित्त वर्ष 2021-22 में 1107 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है. 27 किमी लंबे बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे को भी मंजूरी दी गई है और डीपीआर बन रही है. इससे लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, अयोध्या, सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर आदि जिले के लोग लखनऊ और दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों की यात्रा कम समय में कर सकेंगे.
इसी एक्सप्रेस-वे से जुड़ा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे आजमगढ़ जिले से गोरखपुर तक करीब साढ़े 91 किलोमीटर लंबा बन रहा है. यह एक्सप्रेस-वे चार लेन चौड़ा होगा और इसे छह लेन तक विस्तारित किया जा सकता है. इसका मुख्य कैरेज मार्च 2022 तक पूरा होने की संभावना है. यूपी सरकार ने बजट में परियोजना के लिए 860 करोड़ की व्यवस्था की है. यह गोरखपुर जिले के बाईपास एनएच-27 पर ग्राम जैतपुर से शुरू होकर आजमगढ़ जिले के ग्राम सलारपुर में समाप्त होगा. इससे गोरखपुर, अंबेडकरनगर, संतकबीरनगर और आजमगढ़ आदि जिले के लोगों को फायदा होगा. न केवल सामाजिक और आर्थिक विकास बल्कि कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और उद्योगों की आय को भी बढ़ावा मिलेगा.
बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे बन जाने से बचेगा लोगों का समय
यूपी के बहुचर्चित बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की बात करें तो 14,849 करोड़ की लागत से बन रहा 297 किमी लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेस- वे चार लेन चौड़ा है और इसे छह लेन तक विस्तार दिया जा सकता है. इसके मुख्य कैरेज दिसंबर तक पूरा होने की पूरी संभावना है. इसके लिए राज्य सरकार ने बजट में 1492 करोड़ की व्यवस्था की है. एक्सप्रेस-वे झांसी-प्रयागराज राष्ट्रीय मार्ग संख्या 35 पर स्थित चित्रकूट जिले में भरतकूप के पास से शुरू होकर इटावा जिले के ग्राम कुदरैल में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर समाप्त होगा. बुंदलेखंड एक्सप्रेस-वे लोगों को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और यमुना एक्सप्रेस-वे से दिल्ली सहित अन्य राज्यों से जोड़ेगा. इससे चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा आदि जिलों के लोग लाभान्वित होंगे.
डिफेंस कारिडोर के लिए भी आ रहे हैं निवेशक
उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बुंदेलखंड क्षेत्र में 3525 हेक्टेयर भूमि में छह जिलों लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़, झांसी और चित्रकूट में बनाया रहा है. इससे बुंदेलखंड क्षेत्र में 20 हजार करोड़ का निवेश और ढाई लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की आशा है. इसमें 1370 हेक्टेयर भूमि खरीदी जा चुकी है और करीब 29 सौ करोड़ के निवेश प्रस्ताव पास हुए हैं. नोडल एजेंसी यूपीडा ने अलीगढ़ में डिफेंस कारिडोर के लिए अधिग्रहित भूमि 15 कंपनियों को आवंटित किया है. यहां 78 हेक्टेयर भूमि पर डिफेंस पार्क बनेगा. अलीगढ़ में निवेश के लिए 25 कंपनियों ने यूपीडा के साथ एमओयू भी किया है. इससे करीब 15 सौ करोड़ का निवेश प्रस्तावित है. लखनऊ में एचएएल और बीडीएल ने करीब 250 एकड़ भूमि मांगी है. इसके अलावा टाटा टेक्नॉलोजी, सीमेंस और डेसाल्ट की तरफ से सेंटल फैसिलिटी सेंटर की स्थापना के लिए प्रस्ताव मिले हैं. पिछले साल हुए डिफेंस एक्सपो में 45 एमओयू हुए हैं, जिनमें इंस्टीयूशनल एमओयू भी हैं.
गंगा नदी के साथ हरिद्वार से वाराणसी तक एक्सप्रेस-वे बनाया जाना है. पहले चरण में 36 हजार करोड़ की लागत से मेरठ से प्रयागराज तक बन रहा 596 किमी लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे छह लेन चौड़ा होगा और आठ लेन तक बढ़ाया जा सकेगा. सरकार ने बजट में भूमि अधिग्रहण के लिए 7200 करोड़ और निर्माण के लिए 489 करोड़ की व्यवस्था की है. मेरठ-बुलंदशहर राष्ट्रीय राजमार्ग 334 से शुरू होकर हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ होते हुए प्रयागराज में बाईपास पर समाप्त होगा. एक्सप्रेस-वे पर सामरिक आवश्यकता की दृष्टि से शाहजहांपुर के पास एक हवाई पट्टी भी बनाई जाएगी.
निवेश और रोजगार की है भारी संभावना
राज्य सरकार ने यमुना एक्सप्रेस-वे, लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के किनारे उद्योगों के लिए करीब 67 सौ एकड़ भूमि आरक्षित की है. इससे निवेश आने की संभावना है और स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा. देश की पहली रैपिड रेल का निर्माण मेरठ से नई दिल्ली वाया गाजियाबाद हो रहा है. मेरठ-गाजियाबाद-दिल्ली रैपिड रैपिड रेल में करीब 33 हजार करोड़ खर्च हो रहे हैं. इसका प्राथमिक खंड 2023 और परियोजना 2025 तक पूरी होगी. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में 1326 करोड़ आवंटित किए गए हैं.
मेट्रो और हवाई उड़ानों पर भी है योगी सरकार का फोकस
उत्तर प्रदेश में जल्द ही लखनऊ, वाराणसी, कुशीनगर, अयोध्या और गौतमबुद्धनगर से अंतरराष्ट्रीय यात्राएं की जा सकेंगीं. जेवर में बन रहे एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट में हवाई पट्टियों की संख्या अब दो के बजाय छह होंगी. इसके लिए राज्य सरकार ने बजट में 2000 करोड़ की व्यवस्था की है. प्रदेश में घरेलू ऑपरेशनल हवाई अड्डों की संख्या अब आठ हो गई है. अयोध्या में बन रहे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हवाई अड्डा अयोध्या के लिए 101 करोड़ का बजट प्रस्तावित है. मेट्रो की बात करें तो सरकार का मानना है कि यूपी के सबसे ज्यादा शहरों में मेट्रो चल रही है. गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के साथ मेट्रो की सेवाएं लखनऊ में हैं. कानपुर मेट्रो रेल की 11,076 करोड़ और आगरा मेट्रो रेल की 8,379.62 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत है.
ग्रेटर नोएडा जल्द ही विश्व स्तरीय मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स का हब बनने वाला है. 7725 करोड़ के निवेश से बनने वाले मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स हब और मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब आने वाले समय में यूपी के विकास को नई और ले जा सकता है. इससे लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी. साथ ही एक ही स्थान पर यात्रियों को रेल, सड़क और मेट्रो मिलेंगीं. योगी सरकार की मानें तो उन्हें लगता है कि राज्य सरकार पिछली सरकारों की तुलना में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में कहीं आगे है. यह सभी प्रोजेक्ट प्रदेश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचने वाले प्रतीत होते हैं.
हालांकि, यहां समाजवादी पार्टी के भी कुछ आंकड़े देना भी जरूरी हो जाता है. अखिलेश सरकार में 2015-16 में 7200 किमी मार्गों के चौड़ीकरण/सुंदरीकरण के लक्ष्य के सापेक्ष 2882 किमी लंबे मार्गों का काम पूरा हो चुका था. इसी प्रकार वर्ष 2015-16 में 2500 करोड़ रुपए से मार्गो के अनुरक्षण कार्य कराए जाने के सापेक्ष 8157 किमी लंबे मार्गों के नवीनीकरण कार्य के लिए 767.06 करोड़ रुपए तथा 11675 किलोमीटर लंबे मार्गो के विशेष मरम्मत कार्यों हेतु 1091 करोड़ रुपए अर्थात कुल 1858 करोड़ रुपए से मार्गों के अनुरक्षण का कार्य कराया गया.
यही नहीं, 2015-16 तक 80 दीर्घ सेतु, 35 रेल उपरिगामी सेतु तथा 120 लघु सेतु के निर्माण के सापेक्ष 25 दीर्घ सेतु, 89 लघु सेतु, और 7 रेल उपरागिमी सेतु निर्माण का कार्य पूरा किया जा चुका था. इसके अलावा सपा का कहना है कि उन्होंने साइकिल के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए लखनऊ, मथुरा, आगरा, इटावा में लगभग 80 किमी साइकिल ट्रैक का निर्माण कराया.
बीजेपी प्रवक्ता बोले- पिछली सरकारें करती थीं अपने आवास का विकास
बीजेपी प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव का कहना है कि पिछली सरकारें सारा विकास अपने आवासों पर कर देती थीं और आज वही योगी सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर पर सवाल उठा रहे हैं. नवीन ने कहा कि अखिलेश जो खुद को विकास पुरुष बताते हैं वो यह नहीं बताएंगे की उनके शासनकाल में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का टेंडर पंद्रह हजार करोड़ रुपए में हुआ था जबकि योगी सरकार ने आकर उनके भ्रष्टाचार की पोल खोली और दोबारा जब टेंडर लिया तो वह 11500 करोड़ का निकला.
जूही सिंह बोलीं- बीजेपी सरकार ने किया नाम बदलने का काम
समाजादी पार्टी प्रवक्ता जूही सिंह ने योगी सरकार के चार साल के इंफ्रास्ट्रक्चर पर सवाल उठाया और कहा कि कार्य की स्वीकृति, कार्य की प्रगति, हो रहा है, कार्य चल रहा है का यह पुलिंदा भारतीय जनता पार्टी के मायावी आंकड़ों और 4 साल की शून्य उपलब्धि का तथ्यात्मक प्रमाण है. पूर्वांचल एक्प्रेस-वे का एलाइनमेंट, अधिकतर जमीन अधिग्रहण, बजट का प्राविधान अखिलेश यादव के कार्यकाल में हुआ, हमारे घोषणा पत्र का हिस्सा था. जूही सिंह ने आगे कहा कि एयरपोर्ट की मंजूरी हमने दी, गड्ढामुक्ति अभी तक हुई नहीं. सड़कों का जाल, लखनऊ मेट्रो का निर्माण, अन्य मेट्रो को मंजूरी इत्यादि उत्तर प्रदेश के आधारभूत ढांचे पर ये सारा काम समाजवादी पार्टी की सरकार ने किया, बीजेपी सरकार ने केवल उद्धाटन का उद्घाटन, लोकार्पण का लोकार्पण और नाम बदलने का काम किया.
कांग्रेस प्रवक्ता बोले- वास्तविक निवेश कितना आया ये बताना होगा
कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने योगी सरकार के 4 साल के काम पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बीजेपी झूठ, छल, कपट और प्रपंच की राजनीति करती है. हेडलाइन मैनेजमेंट और इवेंट मैनेजमेंट ही इनका मुख्य हथियार है सरकार चलाने के लिए. जितने दावे इन्होंने किए हैं क्या उसमें से एक भी दावा पूर्ण हुआ है? क्या कोई सड़क पूरी हुई है? क्या प्रदेश गड्ढा मुक्त सड़क पर चल रहा है? क्या उत्तर प्रदेश अपराध मुक्त हो गया है? सुरेंद्र राजपूत ने अपराध को लेकर सरकार को घेरते हुए आगे कहा कि हाथरस जैसे सामूहिक बलात्कार जैसे अपराध जिस प्रदेश में हो रहे हो वहां की सरकार रामराज्य के दावे कैसे कर सकती है. अपराध छुपाने के लिए जो सरकार पीड़िता का शव रात में ही जला देती हो वो सरकार बड़े-बड़े दावे कैसे कर सकती है? उन्होंने कहा कि इवेंट मैनेजमेंट की जगह सरकार को काम पर ध्यान देना चाहिए. सिर्फ एमओयू की जगह वास्तविक निवेश कितना आया और कितने रोजगार आए ये बताना होगा.