लखीमपुर खीरी जिले में पंचायत चुनाव के बाद से अब तक बेसिक शिक्षा विभाग के 55 अध्यापकों की मौत हो चुकी है. ये सभी जनपद के अलग-अलग प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालय में तैनात थे. कोविड काल के दौरान सरकार द्वारा पंचायत चुनाव कराना सरकारी अध्यापकों पर भारी पड़ गया. जिसके चलते जिले के अलग-अलग प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनात करीब 55 अध्यापकों की मौत हो चुकी है.
शिक्षकों के संगठन राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पदाधिकारियों ने लखीमपुर खीरी जिले के बीएसए बुद्ध प्रिया सिंह को एक पत्र सौंपा है. जिसमें महासंघ के पदाधिकारियों ने जिले के अलग-अलग प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनात अध्यापक अध्यापिका और शिक्षामित्रों की हुई मौत के मामले में उनके परिवार वालों और पात्रता के आधार पर नियुक्ति दिलाने की कार्रवाई करने की मांग की है.
लखीमपुर खीरी जिले में तैनात बीएसएफ बुद्ध प्रिय सिंह ने बताया कि पंचायत चुनाव के बाद से अब तक लखीमपुर खीरी जिले में करीब 55 अध्यापक अध्यापिका और शिक्षामित्रों की मौत हुई है. जिन्हें गंभीरता से लिया जा रहा है. शासनादेश के आधार पर मृतक आश्रितों के परिवार के सदस्यों को नौकरी दी जाएगी.
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जिले के बीएसए बुद्धप्रिय सिंह ने कहा कि पंचायत चुनाव से अब तक हमारे 55 शिक्षक और कर्मचारी दिवंगत हुए हैं. उसके संबंध में जो शासनादेश जारी हुआ है, नियमानुसार उनके लिए हमने आवेदन भेजा हुआ है. बाकी जितने हमारे शिक्षक एक्सपायर हुए हैं, उनको लेकर हमलोग कार्रवाई कर रहे हैं.
हालांकि सरकार के आंकड़े एकदम अलग हैं. मंगलवार को बेसिक शिक्षा परिषद की तरफ से दावा किया गया है कि यूपी में पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना से प्रदेश में सिर्फ 3 शिक्षकों की मौत हुई है.
बेसिक शिक्षा परिषद का दावा है कि निर्वाचन अवधि, चुनावी काम में घर से निकलकर आदमी के ट्रेनिंग लेने और चुनाव कराके घर जाने के दौरान ही होती है. बेसिक शिक्षा परिषद का दावा है कि इस अवधि में सिर्फ तीन टीचर की मौत हुई है. उनका कहना है कि ड्यूटी के दौरान कोरोना से सिर्फ 3 शिक्षकों ने जान गंवाई है.