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10 किमी लंबे जाम में फंसी रही एंबुलेंस, 7 साल के मासूम को गंवानी पड़ी जान

जेपी बिल्डर के खिलाफ कुछ खरीददार एक्सप्रेस वे पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. पजेशन नहीं मिलने से गुस्साए खरीदारों ने पहले सर्विस लेन और फिर एक्सप्रेसवे को जाम कर वहां पर प्रदर्शन शुरू कर दिया जिसकी वजह से वहां पर भारी ट्रैफिक जमा हो गया.

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आगरा से दिल्ली आ रही थी एंबुलेंस
आगरा से दिल्ली आ रही थी एंबुलेंस

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दिल्ली से सटे नोएडा में सड़क पर हो रहे विरोध प्रदर्शन की वजह से एक मासूम को अपनी जान गंवानी पड़ी. ग्रेटर नोएडा को नोएडा से जोड़ने वाले एक्सप्रेस वे पर निवेशक एक रियल एस्टेट कंपनी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे जिससे सड़क पर करीब 10 किलोमीटर लंबा जाम लग गया. जाम में फंसी एक एंबुलेंस में सही वक्त पर इलाज न मिलने से एक बच्चे की मौत हो गई.

मरीज के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने वक्त रहते जाम से एंबुलेंस निकलवाने की कोशिश नहीं की और उनकी बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल नहीं ले जाया सका, जिसकी वजह से बच्चे ने एम्बुलेंस में ही दम तोड़ दिया. पुलिस ने इस मामले पर अज्ञात लोगों के खिलाफ ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामले में FIR दर्ज कर ली है.

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जानकारी के मुताबिक जेपी बिल्डर के खिलाफ कुछ खरीददार एक्सप्रेस वे पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. तय समय पर पजेशन नहीं मिलने से गुस्साए खरीदारों ने पहले सर्विस लेन और फिर एक्सप्रेसवे को जाम कर वहां पर प्रदर्शन शुरू कर दिया जिसकी वजह से वहां पर भारी ट्रैफिक जाम हो गया. एक्सप्रेस वे पर जाम की वजह से ग्रेटर नोएडा-नोएडा की तरफ जाने वाले रास्ते पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया. इसी जाम में फंसी एंबुलेंस में 7 साल के बच्चे की मौत हो गई. बच्ची के परिजन उसे आगरा से इलाज के लिए दिल्ली लेकर आ रहे थे.

इस घटना ने प्रदर्शनकारियों के अलावा ट्रैफिक पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े खर दिए है. अपनी मांग के लिए शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रधर्शन जायज है लेकिन उससे दूसरों को दिक्कत हो या फिर किसी मासूम को अपनी जान तक गंवानी पड़े, ऐसे विरोध प्रदर्शन को जायज नहीं ठहराया जा सकता.

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