उत्तर प्रदेश में पिछली बीएसपी सरकार में शुरू की गई 72,825 सहायक प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती को हाइकोर्ट की हरी झंडी मिल गई है. कोर्ट से सत्तारूढ़ सपा सरकार के फैसले को पलटते हुए बीएसपी सरकार में जारी विज्ञापन और उसके संशोधन के आधार पर शिक्षकों के खाली पद भरने का आदेश दिया है. इसी के साथ यूपी के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में दो साल से लटकी सवा लाख प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती का रास्ता भी साफ हो गया है.
हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति अशोक भूषण और विपिन सिन्हा की पीठ ने सपा सरकार के फैसले के खिलाफ दाखिल विशेष अपीलों पर बुधवार को यह फैसला सुनाया. कोर्ट के सामने प्रश्न था कि अध्यापकों की नियुक्ति शैक्षिक गुणांक के आधार पर हो या टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) मेरिट के आधार पर.'
बीएसपी शासन में बेसिक शिक्षा नियमावली में बदलाव करके टीईटी की मेरिट को चयन का आधार बनाया गया था. बाद में सपा के सत्ता में आने के बाद नियमावली में फिर परिवर्तन करते हुए टीईटी मेरिट के स्थान पर शैक्षिक गुणांक को आधार बना दिया गया था.
कोर्ट ने कहा कि सरकार द्वारा विज्ञापन में निर्धारित नियुक्ति मानक में परिवर्तन कर शैक्षिक अंकों को मानक बनाने का फैसला कानून के विपरीत है. सरकार क्राइटेरिया नहीं बदल सकती. इसके साथ ही कोर्ट ने सपा सरकार में इस नियुक्ति के संदर्भ में किए गए संशोधनों और शासनादेशों को रद्द कर दिया.
कोर्ट ने कहा कि 30 नवंबर 2011 (बीएसपी शासन) में जारी विज्ञापन के आधार पर भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाए. कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को 31 मार्च, 2014 तक हर हाल में पूरा करने का आदेश दिया है.