scorecardresearch
 

आय से अधिक संपत्ति केसः CBI जांच के लिए स्वतंत्रः उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले की जांच से केंद्रीय जांच ब्यूरो को रोका नहीं गया है.

Advertisement
X
मायावती
मायावती

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले की जांच से केंद्रीय जांच ब्यूरो को रोका नहीं गया है. न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति का मामला रद्द करने के छह जुलाई के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार, केंद्रीय जांच ब्यूरो और बसपा सुप्रीमो को नोटिस जारी किए.

Advertisement

न्यायालय ने कहा, ‘हमने कभी नहीं कहा कि सीबीआई को जांच का अधिकार नहीं है. वह ऐसा कर सकती है लेकिन उसे राज्य सरकार से मंजूरी लेनी होगी.’

साथ ही न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि उसका आदेश किसी को बचाने के लिए नहीं है. न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने नोटिस जारी करते हुए स्पष्ट किया कि मायावती के खिलाफ नौ साल पुराना मामला निरस्त करने के छह जुलाई के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिका पर वे सिर्फ स्पष्टीकरण ही देंगे.

न्यायाधीश इस मामले में स्पष्टीकरण देने के लिए उस समय सहमत हो गए जब न्यायालय में यह दलील दी गई कि बसपा सुप्रीमो के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद छह जुलाई के फैसले के आलोक में मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच थम गई है.

Advertisement

इस पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘यदि ऐसी धारण बन रही है तो हम अपने आदेश पर स्पष्टीकरण देंगे.’ न्यायाधीशों ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा इस प्रकरण में पहले दिए गए सभी आदेशों की बारीकी से जांच और अध्ययन के बाद ही वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि इस मामले में जांच का कोई निर्देश नहीं दिया गया था और इसी के आधार पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्राथमिकी निरस्त की गई थी.

इस टिप्पणी के साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि यह आदेश इस मामले में उचित मंजूरी लेने के बाद जांच आगे बढ़ाने से एजेंसी को नहीं रोकता है.

न्यायाधीशों ने कहा, ‘न्यायालय द्वारा समय समय पर दिए गए आदेशों के अवलोकन के बाद ही हमने महसूस किया कि इस पहलू के बारे में जांच का कोई निर्देश नहीं था. हमने स्वीकृति लेने के बाद सीबीआई को जांच में आगे कार्यवाही से नहीं रोका है.’

न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम सिर्फ स्पष्टीकरण के लिए केंद्र सरकार, सीबीआई और मायावती को नोटिस जारी कर रहे हैं.’ न्यायालय ने कहा, ‘सीबीआई आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच के लिए स्वतंत्र है और वह इसके लिए सरकार से संपर्क कर सकती है.’

जुलाई में दर्ज हुई थी प्राथमिकी

Advertisement

न्यायाधीश छह जुलाई को मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार के लिए कमलेश वर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. कमलेश वर्मा को इस प्रकरण में हस्तक्षेप की अनुमति मिली थी और इसी आधार पर उन्होंने पुनर्विचार याचिका दायर की है.

कमलेश वर्मा का तर्क है कि न्यायालय ने सीबीआई द्वारा इस मामले में एकत्र किए गए तमाम सबूतों की सराहना किए बगैर ही तकनीकी आधार पर इस प्रकरण का फैसला कर दिया.

कमलेश वर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण ने कहा कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई को जांच की अनुमति देने के बारे में न्यायालय की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने विभिन्न आदेश पारित किए थे. उन्होंने इन आदेशों की प्रति भी न्यायालय में पेश की ओर कहा कि छह जुलाई का निर्णय इन आदेश के विपरीत है.

 

Advertisement
Advertisement