इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की परिसम्पत्तियों से संबंधित अरविंद केजरीवाल के आरोपों की जांच कराने के लिये दायर एक याचिका पर केन्द्र सरकार को शुरुआती आपत्ति दाखिल करने का समय देकर अगली सुनवाई 21 नवंबर को नियत की.
प्रियंका व वाड्रा के पास कैसे आई इतनी संपत्ति?
याचिका में आग्रह किया गया है कि इस सिलसिले में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया जाये. वरिष्ठ न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह और न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार दीक्षित की खंडपीठ ने यह आदेश स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की याचिका पर दिया है.
गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल ने रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से इंटरेस्ट फ्री और अन-सिक्योर्ड लोन लेने का आरोप लगाया था. इसके अलावा केजरीवाल ने वाड्रा पर लगाए गए आरोपों से जुड़े कागजात पेश किए. उन्होंने हरियाणा सरकार और डीएलएफ के बीच सांठ-गांठ होने का दावा किया है.
वाड्रा और हरियाणा सरकार के साथ साठगांठ नहीं: डीएलएफ
याची ने आग्रह किया है कि प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया जाए कि मामले के संबंध में उसके जांच सम्बन्धी प्रत्यावेदन का निस्तारण गुण-दोष तथा तथ्यों के आधार पर किया जाए. याची का कहना है कि गत नौ अक्तूबर के प्रत्यावेदन में राबर्ट वड्रा के खिलाफ केजरीवाल तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण के आरोपों की जांच 30 दिनों में करायी जाए क्योंकि आरोप बहुत गम्भीर हैं.
याची के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय का तर्क था कि इन आरोपों के सम्बन्ध में चूंकि कई केन्द्रीय मंत्री वड्रा का बचाव करते हुए बयान दे रहे हैं लिहाजा इस सिलसिले में प्रधानमंत्री के दफ्तर को वड्रा पर लगे आरोपों की जांच करानी चाहिये.