देश में राजनैतिक जड़ता को समाप्त करने के लिए साहसिक राजनैतिक पहल करने की जरूरत पर जोर देते हुए प्रसिद्ध चिंतक-विचारक के एन गोविंदाचार्य ने दावा किया कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार साबित हो रही है.
गोविंदाचार्य ने कहा, ‘हमारी मांग है कि सरकार सभी कोयला खदानों का आवंटन रद्द करे. मेरा सभी भ्रष्टाचार विरोधी शक्तियों से आग्रह है कि लूट खसोट में लगे उद्योगपतियों को देशहित में बेनकाब किया जाए.’ विपक्षी दलों पर भी सत्ता हासिल करने के दांवपेच में लगने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि आज विपक्ष भी अपनी साख खो चुका है. साथ ही नैतिकता की बजाए कानून को आधार बनाकर विभिन्न दांवपेच से सत्ता हासिल करने में लग गया है. सत्ता और विपक्ष के इस अनैतिक गठबंधन के समक्ष समाज नतमस्तक हो गया लगता है.
गोविंदाचार्य ने अपने बयान में कहा कि अन्ना हजारे का आंदोलन हो या बाबा रामदेव का दोनों ही जगह जनता का विक्षोभ तो दिखायी दे रहा है लेकिन नेतृत्व या उसे आकार देने में यह विफल रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि अन्ना का आंदोलन अब जद (यू) का नया संस्करण बनता दिख रहा है तो बाबा रामदेव का आंदोलन कांग्रेस के पराभव के लिए खुद को बीजेपी का एक और संस्करण बनाने में लग गया है.
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में सभी आंदोलनकारी समूहों को अपने अपने पूर्वाग्रहों को छोड़कर प्रकृति केंद्रित विकास के एजेंडे को लेकर व्यवस्था परिवर्तन के काम में लगना चाहिए.
गोविंदाचार्य ने कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए वे आने वाले नवरात्र के दिनों में दिल्ली में सक्रिय आंदोलनकारी समूह के नेताओं से विचार विमर्श के बाद जरूरी पहल करेंगे. एक अक्तूबर को पंचायती राज व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए केन्द्रीय बजट का सात प्रतिशत ग्राम पंचायतों को सीधे आवंटित करने की मांग को लेकर विभिन्न स्थानों पर धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जायेगा.