कटिहार में बलात्कार की शिकार एक लड़की अपने घिनौने बीते कल से बाहर निकालकर पढ़ाई करना चाहती है. जिंदगी के प्रति सकारात्मक रवैया रखने वाली यह पीड़ित छात्रा 4 माह ही गर्भावस्था में स्कूल नहीं जा पा रही है और साथ ही समाज में तमाम ताने भी सुन रही है. फिर भी वो टूटी नहीं और खुद को मजबूती से संभालते हुए परिवार की सहमति से उसने गर्भपात का निर्णय लिया.
पीड़िता बिलकिस फातमा पढ़ना चाहती है, समाज में इज्जत से जीना चाहती है. अपने पेट में पल रहे गर्भ को उसने नजायज करार दिया है. समाज में उठ रही उंगलियों से तंग आकर परिवार की सहमति से उसने कानून से गुहार लगाई है कि उसे गर्भपात की अनुमति जल्द से जल्द दी जाए. वहीं कानून के रखवालों ने स्पष्ट कहा है कि एक मासूम बच्चे की गर्भ में ही मौत की इजाजत नहीं दी जा सकती.
बिलकिस फातिमा कटिहार जिला के आजमनगर थाना क्षेत्र (पश्चिम बंगाल) के सीमावर्ती गांव बघौड़ा की रहने वाली है. वह कक्षा 6 से उत्तीर्ण होकर 7वीं कक्षा में अपना नामांकन कराकर पढ़ना चाहती है. उसका आरोप है कि 7 माह पूर्व एक बार जब वह अपने घर से शौच के लिए बाहर निकली, तब पड़ोसी युवक अब्द्दुल गफ्फार, जो उसके पिता की उम्र का है, ने अपने साथियों के साथ उसे उठा लिया. वो फातिमा को बेहोशी की हालात में दिल्ली ले गया. पीड़िता ने आरोपी से घर वापस जाने के लिए गुहार भी लगाई, लेकिन वहशी ने उसकी एक ना सुनी. किसी तरह वह पुलिस की मदद से अपने गांव वापस आ सकी.
फातिमा के पिता खुर्शीद ने कटिहार न्यायलय में आरोपी के विरुद्ध मुकदमा भी किया है. अब्दुल गफ्फार फिलहाल न्यायिक हिरासत में है. फातिमा चाहती है कि इस नजायज गर्भ से उसे जल्द से जल्द छुटकारा मिले. लेकिन जांच के बाद अब पुलिस कहती है कि गर्भ गिराने की अनुमति पुलिस नहीं दे सकती क्योंकि यह गैर कानूनी है.