ग्रेटर नोएडा की एसडीएम सदर दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन की असली वजह क्या थी? अब तक इस मामले में तमाम बातें लिखी और सुनी गई हैं. सूबे के मुखिया अखिलेश यादव को आप सुन और पढ़ चुके हैं. उत्तर प्रदेश एग्रो के चेयरमैन नरेंद्र भाटी के दावे भी आपने सुने होंगे. लेकिन आज तक के पास वो सच है, जो अखिलेश सरकार के तमाम दावों की धज्जियां उड़ा देगा.
ईमानदार अफसर को हटा दिया, लेकिन लखनऊ में दंगे रोकने में नाकाम अखिलेश सरकार
क्या ग्रेटर नोएडा में दंगा भड़कने की आशंका के मद्देनज़र आईएएस अधिकारी एसडीएम दुर्गा शक्ति को अखिलेश यादव ने सस्पेंड किया था या फिर इस निलंबन कथा के पीछे असली कहानी कुछ और है?
आज तक के खुफिया कैमरे में सच कैद हो गया, जिसमें साफ जाहिर होता है कि दुर्गा शक्ति जैसी ईमानदार अफसर को एक राजनीतिक साजिश के तहत सस्पेंड किया गया. आज भी नोएडा के सेक्टर 39 पुलिस स्टेशन के सामने बालू से भरे ट्रकों की लंबी कतार लगी है और यही दुर्गा शक्ति के ईमानदारी और निष्ठा के सुबूत हैं. ये ट्रक रेत माफिया की साजिश के सुबूत हैं, जिसके तहत एक ईमानदार अफसर को बेहूदा बताकर जलील किया गया और फिर सस्पेंड करा दिया गया.
अखिलेश यादव के खासमखास नरेंद्र भाटी ने ऐलान किया कि दुर्गा शक्ति ने एक धार्मिक स्थल की चारदिवारी गिरा कर गांव में दंगा भड़काने की कोशिश की और इसीलिए महज 41 मिनट में उन्हें सस्पेंड करा दिया.
नरेंद्र भाटी के सच को परखने के लिए आज तक की टीम सीधे ग्रेटर नोएडा के रहबापुर थाने पहुंची. इसी थाना क्षेत्र में गांव कादिलपुर आता है, जहां मस्जिद की चारदिवारी गिरवा कर दंगा भड़काने का दुर्गा शक्ति पर आरोप है. रहबापुर थाने की जनरल डायरी को आज तक ने खुफिया कैमरे में कैद कर लिया. थाने की जनरल डायरी से जाहिर होता है कि दीवार गिराने वाले दिन यानी 27 जुलाई को थाने से दो सिपाही फिरोज और विनय कुमार यादव मौके पर गए थे.
फिरोज और यादव ने मौके से लौटकर डायरी में जो ब्योरा लिखा, उसमें कहीं भी ये नहीं लिखा था कि दीवार गिरने के बाद गांव में कोई तनाव था. थाने के स्टेशन अफसर अजय कुमार यादव और इनके सहयोगी यानी सब इंस्पेक्टर एसके गौतम का मानना है कि कादिलपुर गांव में कभी तनाव नहीं हुआ और वहां हमेशा अमन चैन रहा. पहले भी और अब भी.
यूपी एग्रो के चेयरमैन नरेंद्र भाटी, जो ग्रेटर नोएडा के दबंग नेताओं में गिने जाते हैं, ने दावा किया था कि 41 मिनट के भीतर उन्होंने दुर्गा शक्ति नागपाल की छुट्टी करा दी थी. उनका दावा गलत नहीं था. दरअसल वो सरकार के दावे की ही कलई खोल रहे थे. आजतक के खुफिया कैमरे के सामने नरेंद्र भाटी के भाई कैलाश ने भी यूपी के सीएम अखिलेश यादव के दावे की कलई खोली.
कैलाश भाटी का कहना है कि समाजवादी पार्टी के कई नेताओं ने दुर्गा शक्ति की शिकायत सीधे अखिलेश यादव से की थी, क्योंकि दुर्गा शक्ति ने बालू माफिया पर नकेल कसी थी और उनकी रेत से भरी कई गाड़ियां और डंपर थाने में बंद करवा दिए थे. यही नहीं कैलाश भाटी का ये भी कहना था कि सरकार अब सस्पेंशन पर इसलिए अड़ी है, क्योंकि कहीं ना कहीं उसे राजनीतिक फायदा हो रहा है. वोट बैंक की पॉलिटिक्स का जिक्र कर रहे हैं वो.
यानी साफ है कि सरकार ने माइनिंग माफिया के दबाव में एक ईमानदार अफसर की बलि चढ़ा दी और बाद में उसे ये कहकर बलि का बकरा बनाया कि अफसर के मनमाने फैसले से नोएडा में दंगा भड़क सकता था.
धर्मनिरपेक्ष समाजवाद में साप्रदायिक हिंसा
विधानसभा में बीजेपी के विधायक सतीश महाना और लोकेंद्र सिंह व पीस पार्टी के विधायक डॉ. मोहम्मद अयूब ने सवाल पूछा था कि 15 मार्च से 31 दिसंबर के बीच उत्तर प्रदेश में कितनी जगहों पर सांप्रदायिक हिंसा हुई है. इस प्रश्न के जवाब में खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लिखित जवाब दिया. अखिलेश का जवाब था 27 जगह. और वे जगहें हैं:
मथुरा
फैजाबाद
इलाहबाद
लखनऊ
सीतापुर
बहराइच
संत रविदास नगर
मुरादाबाद
बरेली- 2
संभल- 2
प्रतापगढ़- 2
बिजनौर- 2
कुशीनगर- 2
मेरठ- 3
मुज्जफरनगर- 3
गाजियाबाद- 3