विधायकों के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले पर आम आदमी पार्टी ने सीधे चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए हैं. पार्टी ने कहा है कि चुनाव आयोग ने संविधान और नियमों को ताक पर रखकर फैसला दिया है.
आप नेता संजय सिंह ने लखनऊ में 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने के चुनाव आयोग के फैसले पर कहा कि आयोग ने जो फैसला किया है वो गलत है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लोकतंत्र की हत्या करने में जुटी है और चुनाव आयोग ने कानून और नियमों को ताख पर रख फैसला दिया है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी के एजेंट के तौर पर काम कर रहा है.
साथ ही संजय सिंह ने ये भी कहा कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और निर्देशों को दरकिनार कर शुक्रवार को अपना फैसला सुना दिया. उन्होंने कहा कि फैसले से पहले विधायकों को अपना पक्ष रखने तक का मौका नहीं दिया गया. लिहाजा, ये 20 विधायकों के साथ सरासर अन्याय है.
संजय सिंह ने चुनाव आयोग से पार्टी विधायकों द्वारा संसदीय सचिव के तौर पर उठाए गए लाभ की डिटेल्स भी मांगी. उन्होंने कहा हमारे सभी विधायक ईमानदार हैं और उन्हें संसदीय सचिव रहते हुए क्या फायदा मिला, इसकी जानकारी दी जाए. संजय सिंह ने चुनाव आयोग के इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि देश में आपातकाल जैसे हालात पैदा हो गए हैं.
दूसरे राज्यों में हुई नियुक्तियां
संजय सिंह ने बचाव में दलील देते हुए कहा कि 2006 में दिल्ली सरकार में शीला दीक्षित ने 19 विधायकों को लाभ का पद दिया. झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी संसदीय सचिव पर विधायकों को नियुक्ति दी गईं. हरियाणा में 4 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया. बंगाल, पंजाब में भी ऐसा हुआ. हिमाचल में 11 संसदीय सचिव को लाभ का पद दिया गया.
संजय सिंह ने बताया कि देश के दूसरे राज्यों में हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों के पद को रद्द किया, लेकिन चुनाव आयोग ने कभी भी कोई सदस्यता रद्द नहीं की. उन्होंने उम्मीद जताई कि सोमवार को हाईकोर्ट में केस की सुनवाई है और पार्टी को राहत मिलेगी.