उत्तर प्रदेश में हो रहे निकाय चुनाव के तीसरे और आखिरी चरण में आखिरकार पर्दानशीं महिलाओं की पहचान सुनिश्चित होने लगी है. मुगलसराय, चंदौली, बागपत और सहारनपुर में कई बूथों पर बुर्के में वोट डालने आई महिलाओं की पहचान उनके वोटर आई कार्ड और चेहरे से मिलान करके किया गया और उसके बाद ही उन्हें वोटिंग की इजाजत दी गई.
सबसे पहले इसकी मांग उत्तर प्रदेश बीजेपी ने की थी और बाकायदा राज्य चुनाव आयोग को एक ज्ञापन देकर यह मांग किया था कि पर्दे, बुर्के या घूंघट में आई महिलाओं के चेहरों का मिलान उनके वोटर आईडी कार्ड से किया जाए और इसके लिए महिला सुरक्षा की खास व्यवस्था की जाए. हालांकि चुनाव आयोग ने इस बाबत कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया था लेकिन कई जिलों में प्रशासन ने इसे जरूर लागू कर दिया है.
मुगलसराय, चंदौली, बागपत और सहारनपुर में आज कई बूथों पर यह देखने को मिला कि महिला सुरक्षाकर्मी बुर्के में आई महिलाओं की पहचान उनके आई कार्ड से कर रही हैं और साथ-साथ बुर्का हटाकर चेहरे से आई कार्ड का मिलान भी कर रही हैं.
नगर निकाय चुनाव के अंतिम चरण में 26 जिलों में नगर निगम नगर पालिका और नगर पंचायतों के लिए मतदान हो रहा है. मतदान को सकुशल संपन्न कराने के लिए एक तरफ जहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं वही फर्जी वोट को रोकने के लिए भी चुनाव आयोग द्वारा इंतजाम किए गए हैं.
मुगलसराय/चंदौली
मुगलसराय में मतदान के दौरान मुस्लिम महिलाओं का बुरका हटवाकर चेहरे का मिलान किया गया. इसके लिए एक महिला कांस्टेबल को नियुक्त किया गया था. उधर मुस्लिम महिला मतदाताओं ने इस व्यवस्था पर नाराजगी जताई.
मुगलसराय में एक बूथ पर मौजूद महिला सुरक्षाकर्मी शैल कुमारी ने कहा, "ऊपर से निर्देश है कि जो भी महिलाएं बुर्का में आएं उनका चेहरा पहचान पत्र से मिलान कराया जाए." लेकिन, बुर्का पहन कर वोट देने आई मुस्लिम महिलाएं इससे नाराज दिखीं. उनका कहना था कि वह पहले से बुर्के में वोट करती रही हैं और इस तरह की पहचान की कवायद कभी नहीं हुई.
रूमी परवीन (मतदाता मुगलसराय) ने कहा, "हम लोग पहले भी वोट दे चुके हैं लेकिन ये पहली बार हो रहा है कि नकाब हटाकर मुंह देखा जा रहा है. ये हम लोगों को अच्छा नहीं लग रहा है."
कुछ इस तरह की ही राय इसी बूथ पर वोट डालने आईं नाजिया के भी थे. नाजिया का कहना था कि पहचान सुनिश्चित हो ठीक है लेकिन यह बाहर की बजाए अंदर एकांत में होना चाहिए. नाजिया (मतदाता) ने कहा, "ये इतना बाहर नहीं होना चाहिए था. थोड़ा अंदर होना चाहिए था."
तीसरी मतदाता सलमा तो इसे इस्लाम के खिलाफ ही बता रही हैं. उनका कहना है कि हमारी पहचान मुंह ढक कर भी हो सकती है और हमारा पहचान पत्र ही पहचान के लिए काफी है.
सलमा (मतदाता) ने कहा, "ये इस्लाम की तरफ से ठीक नहीं है. ये अच्छा नहीं है. अगर फर्जी वोट रोकने के लिए हो रहा है तो हम लोगों के पास पहचान पत्र तो है. मुंह ढक के भी किया जा सकता है."
सहारनपुर
सहारनपुर में भी कुछ ऐसा ही नजारा दिखा जब बड़ी तादाद में लाइनों में लगी बुर्का पहने औरतें वोटिंग के पहले बुर्का हटाकर अपनी पहचान सुनिश्चित कराती दिखीं. सहारनपुर में बुर्कानशीं औरतें भी बड़ी संख्या में वोट डालने पहुंचीं. पोलिंग बूथ के अंदर उनकी पहचान के लिए उनके मुंह से बुर्का और कपड़ा हटवाकर उनकी पहचान सुनिश्चित की गई. इसके बाद ही अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकीं.
बागपत
बागपत के वीर स्मारक इंटर कॉलेज में मुस्लिम मतदाताओं की भीड़ उमड़ी हुई है. यहां जो भी मुस्लिम महिलाएं बुर्के में आ रही हैं. उनकी चेकिंग की जा रही है और उसके बाद ही उन्हें पोलिंग बूथ में जाने की इजाजत दी जा रही है. पोलिंग बूथ पर तैनात महिला पुलिसकर्मी पूरी मुस्तैदी से ये देखने की की कोशिश कर रही हैं कि कहीं कोई बुर्कानशीं ऐसी तो नहीं है कि जो दोबारा वोट डालने जा रही हो. इसी के साथ उनके पहचानपत्र से भी उनकी पहचान की जा रही है. हालांकि कुछ महिला मतदाता इसका विरोध भी कर रही हैं. लेकिन, बिना चेकिंग के कोई बुर्खानशीं मतदान केंद्र पर दाखिल नहीं हो रही है.
चाहे मुगलसराय हो, सहारनपुर हो या फिर बागपत... बुर्कानशीं महिलाओं ने इसका विरोध किया और कई जगहों पर उन्होंने पहचान सुनिश्चित के दूसरे तरीके भी बताए लेकिन प्रशासन ने बाकायदा महिला पुलिस और महिला कांस्टेबल के सामने इनकी चेकिंग की उसके बाद ही ये वोट डाल पाईं.
आपको बता दें कि यह मांग बीजेपी की तरफ से काफी पहले से रही है और बीजेपी से जुड़े मुस्लिम नेता भी इसके समर्थन में रहे हैं. योगी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा पहले ही कह चुके हैं कि जब आधार और पासपोर्ट के लिए चेहरा दिखाया जा सकता है तो वोटिंग के वक्त क्यों नहीं. बहरहाल इस पर विवाद होना तय है क्योंकि मुस्लिम मौलाना धर्मगुरू इसका विरोध करते दिख रहे हैं.
(मुगलसराय से उदय, सहारनपुर से अनिल और बागपत से दुष्यंत के साथ कुमार अभिषेक)