यूपी में कांग्रेस, बीजेपी और सपा सूबे में रैलियां कर प्रदेश की सियासत को गरमाने में जुटी हुई हैं, लेकिन मायावती जल्दबाजी में नहीं हैं.
लोकसभा चुनावों की तैयारी को लेकर प्रदेश में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी चार-चार रैलियां कर चुके हैं. मुलायम सिंह यादव भी दो बड़ी रैलियां कर चुके हैं लेकिन सूबे की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएसपी अभी इस होड़ से बाहर है.
मायावती पर अप्रत्क्ष रूप से दबाव बनाने के लिए बीजेपी लखनऊ के रमाबाई रैली स्थल पर नरेंद्र मोदी की एक बड़ी रैली करने की कवायद में जुट गई है. लखनऊ का यही वह विशाल मैदान है जहां अभी तक केवल मायावती ने ही जनसैलाब उमड़ने जैसी रैलियां की हैं.
सपा ने पहली बार 14 दिसंबर की रैली के लिए इस मैदान को चुना था. मगर यह कार्यक्रम टल गया. ऐसे में पहले मीडिया इन दोनों दलों की रैलियों की तुलना कर ले. इसके बाद मायावती अपनी रैली कर भीड़ का जवाब जनसैलाब से देंगी.
उधर, यूपी में पार्टी के भीतर राजनीतिक माहौल को ठंडा होने से बचाने के लिए बीएसपी डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्य तिथि पर छह दिसंबर को राजधानी में श्रद्धांजलि कार्यक्रम करने जा रही है. मायावती ने स्वयं इसमें पार्टी के ज्यादा से ज्यादा लोगों को आकर श्रद्धांजलि देने की अपील की है. पूरी संभावना है कि तमाम वरिष्ठ नेताओं के साथ बीएसपी सुप्रीमो भी इसमें शामिल होंगी. हर विधानसभा क्षेत्र से एक-एक बस से कार्यकर्ताओं को लाने का फरमान सुनाया जा चुका है. इतनी बड़ी जुटान के बावजूद पार्टी इसे रैली नहीं कहेगी.