मुस्लिम तुष्टिकरण की तोहमत झेलने की बात खुद कांग्रेस के हार के कारणों की जांच करने वाली अंटोनी समिति ने मानी थी. इसलिए राहुल और कांग्रेस गाहे बगाहे अपनी छवि में बदलाव का कोई मौका नहीं छोड़ते. अब 6 सितंबर से यूपी मिशन 2017 का आगाज करने जा रहे राहुल ने नई रणनीति और नए अंदाज के साथ सियासी रण में उतरने की तैयारी की है.
सियासी युद्ध में उतरते ही योद्धा की तरह आगवानी की तैयारी
सूत्रों की माने तो, रुद्रपुर की धरती पर उतरते ही राहुल जैसे ही जनता के सामने आएंगे, तो सबसे पहले सड़क के दोनों तरफ ऊंचे मचान पर रणभेरी बजाई जाएगी, ढोल और नंगाड़े बजेंगे. राहुल आगे बढ़ेंगे, तो आगे-आगे पारम्परिक अंदाज़ में घोड़े चलेंगे, फिर उसके पीछे आज के दौर का वाहन यानी फटफटियां होंगी. फिर पीछे राहुल अपने किसान रथ में आगे बढ़ेंगे. कुल मिलाकर नजारा ऐसा कि, मानो कोई योद्धा युद्ध में निकल पड़ा हो.
खास मान्यता वाले नाथ बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद लेंगे राहुल
रूद्रपुर के नाथ बाबा का मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र हैं. मान्यताओं के मुताबिक, इसे दुग्धेश्वर मंदिर भी कहते हैं. 300 ईसा पूर्व से ज्यादा पुराने इस मंदिर की महत्ता काशी विश्वनाथ जितनी है, इसीलिए इसको छोटा काशी भी कहते हैं. राहुल यूपी में अपने सियासी रण की शुरुआत यहां शंकर जी की पूजा अर्चना करने के बाद ही करेंगे. काशी से कांग्रेस के पूर्व सांसद राजेश मिश्र रुद्रपुर पहुंच कर कहते हैं कि, उम्मीद है कि, राहुल जी यहां आशीर्वाद लेने जरूर आएंगे. वैसे पुराने कांग्रेसी बताते हैं कि, 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद सोनिया गांधी ने दिल्ली से बाहर पहला सियासी कदम यहीं रखा था और मंदिर के दर्शन भी किये थे, हालांकि तब वो बाढ़ पीड़ितों से मिलने आई थीं. वहीँ, मंदिर के महंत विश्व रंजन भारती ने कहा कि, पिछली बार राहुल आए थे तो कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप विधायक बन गए, इस बार बाबा से मनोकामना मांगेंगे तो प्रधानमंत्री बनने की मनोकामना पूरी हो जाएगी.
नाथ बाबा के बाद बजरंग बली से भी बल मांगेगे राहुल
यूं हीं नहीं राहुल गांधी की ये सियासी यात्रा मंगलवार को शुरु की जा रही है. हिन्दू मान्यताओं में मंगलवार को खास दिन माना जाता है. दरअसल जिस मैदान पर राहुल खाट चौपाल लगाएंगे वहां पहले से ही बजरंग बली का मंदिर है. राहुल उनसे भी आशीर्वाद लेंगे, जिसके बाद किसान और खेतिहर मजदूरों के बीच शुरू होगी राहुल की खाट चौपाल. हालांकि राहुल के आधिकारिक कार्यक्रमों में इसका धार्मिक स्थलों के दर्शन का जिक्र नहीं हैं. दरअसल, पार्टी संदेश तो देना चाहती है, लेकिन धर्म की राजनीति करने का इलजाम नहीं झेलना चाहती.
भगवान के आशीर्वाद के बाद शुरू हो जाएगी राहुल की खाट पंचायत
ऊपरवाले के सामने माथा टेकने के बाद राहुल अपनी सियासी यात्रा शुरू कर देंगे. खाट पंचायत के लिए पूरे मैदान पर खाट और चारपाइयां बिछाई जाएंगी. जहां राहुल किसानों और खेत मजदूरों की समस्याएं सुनेंगे. सवाल-जवाब भी होंगे. राहुल मोदी सरकार पर पुराने वादे न पूरे करने का ठीकरा फोड़ेंगे, तो किसानों और खेत मज़दूरों से वादे कर कांग्रेस के लिए वोट मांगेंगे. 27 साल से यूपी की सत्ता से दूर कांग्रेस को फिर सत्ता में लाना किसी चमत्कार के कम नहीं, लेकिन पीके की नई रणनीति के सहारे राहुल 2007 और 2012 की नाकामी के बाद एक बार फिर कोशिश कर रहे हैं.