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आगरा: 19 मीट्रिक टन आलू बेचकर 490 रुपये कमाया मुनाफा, PM नरेंद्र मोदी को किया मनीऑर्डर

आगरा के किसान प्रदीप शर्मा ने 19 मीट्रिक टन आलू बेचकर महज 490 रुपया मुनाफा कमाया. इससे नाराज होकर उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 490 रुपए का मनीऑर्डर भेजा है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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आगरा देश के सबसे बड़े आलू उत्पादक क्षेत्रों में से एक है, लेकिन इस क्षेत्र के किसान आलू की गिरती कीमतों और उन्हें उगाने की बढ़ती लागत के कारण काफी परेशान हैं. आगरा के बरौली अहीर गांव के एक किसान ने 19 मीट्रिक टन आलू बेचकर महज 490 रुपया मुनाफा कमाया. अपनी फसल की कम कीमत मिलने से नाराज किसान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 490 रुपए का मनीऑर्डर भेजा है.

इंडिया टुडे से बात करते हुए किसान प्रदीप शर्मा ने कहा कि अपनी कमाई को भेजने का उनका मतलब प्रधानमंत्री का अपमान करना नहीं है, लेकिन पीएम को किसानों की दुर्दशा के बारे में सोचना चाहिए. यह 490 रुपये पीएम मोदी को सिर्फ याद दिलाने के लिए है कि उन्हें क्यों चुना गया था. उन्होंने कहा कि वह पहले भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिख चुके हैं कि उन्हें आत्महत्या करने की अनुमति दी जाए. पिछले दिनों उन्होंने यूपी के उप-मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी. डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा से किसानों के मुनाफे को बढ़ाने में सरकार और प्रशासन की मदद का अनुरोध किया था, लेकिन हर प्रयास विफल रहा.

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उन्होंने कहा कि आलू बेचने में बिचौलिए खूब पैसा कमा रहे हैं, जबकि किसान को कुछ नहीं मिल रहा है. आलू का एमएसपी 700-800 रुपये प्रति क्विंटल है. फसल उगाने की लागत करीब 549 प्रति क्विंटल आती है. यही कारण है कि किसान अपनी फसल को बेचने के लिए सरकारी खरीद केंद्रों पर नहीं जा रहे हैं.

यूपी बागवानी विभाग में उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, आगरा जिले में 2,59,663 किसान 2,83,825 हेक्टेयर भूमि पर खेती करते हैं, जिसमें से 70 हजार हेक्टेयर भूमि का उपयोग आलू की खेती के लिए किया जाता है. गेहूं की खेती के लिए 1.32 लाख हेक्टेयर का उपयोग किया जाता है, जबकि 55 हजार हेक्टेयर में सरसों और 25 हजार हेक्टेयर में सब्जियों का उपयोग किया जाता है.

शमशाबाद क्षेत्र के एक किसान श्याम सिंह ने कहा कि जब तक सरकार यह सुनिश्चित नहीं करती कि किसानों को फसल उगाने में उनकी लागत का कम से कम 150 फीसदी वापस मिल जाए, तब तक सरकार को फसल बेचने का कोई मतलब नहीं है. यदि सरकार फसल के लिए परस्पर सहमत मूल्य का भुगतान करने के लिए तैयार है, तो कोई भी किसान फसल बेचने के लिए बिचौलियों के पास नहीं जाएगा.

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