ताजमहल के लिए दुनियाभर में मशहूर आगरा इन दिनों प्रदूषण की चपेट में है. आगरा का जिला अस्पताल और एसएन मेडिकल कॉलेज में ऐसे मरीजों की भरमार है, जिन्हें सांस की तकलीफ है. आगरा में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे खतरनाक स्तर पर है और इसकी वजह से लोग बुरी तरह से बीमार पड़ रहे हैं. आगरा में धूलभरी आंधी और भीषण गर्मी की चपेट में आने की वजह से लोग बीमार पड़ रहे हैं. स्थानीय डॉक्टरों का कहना है कि शहर के लोगों के खराब स्वास्थ्य की बड़ी वजह प्रदूषण है.
आज तक से हुई खास बातचीत में सीनियर फिजीशियन डॉक्टर एसके कालरा ने कहा कि आगरा, राजस्थान के बेहद करीब है जिसकी वजह से इस क्षेत्र में गर्मी का प्रभाव अन्य क्षेत्रों से कहीं ज्यादा रहता है. राजस्थान की ओर से आने वाली धूलभरी आंधी आगरा की खराब एअर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के लिए जिम्मेदार है. स्थानीय लोग इसी वजह से लू और सांस की बीमारी के शिकार हो रहे हैं.
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक आगरा सबसे खराब वायु की गुणवत्ता वाले शहरों में से 4 स्थान पर है. यहां प्रदूषण का स्तर 2.5पीएम के आसपास है. किसी भी जीवित प्राणी के लिए इस शहर की वायु गुणवत्ता बेहद खराब है.
डॉक्टर कालरा के मुताबिक, पीएम 2.5 का स्तर बेहद खतरनाक है. रक्तप्रवाह में इसकी वजह से दिक्कतें आ सकती हैं. आगरा में कॉर्बन मोनोऑक्साइड का स्तर सामान्य औसत से 19 प्रतिशत से ज्यादा है. कॉर्बन मोनोऑक्साइड रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को कम करता है जिसकी वजह से तनाव बढ़ता है.
डॉक्टरों का कहना है कि स्थानीय लोगों को पीएम 2.5 स्तर का प्रमाणित डस्ट मास्क पहनना चाहिए. जहां तक हो सके एयर फिल्टर का भी इस्तेमाल करना चाहिए. सामाजिक कार्यकर्ता दीप शर्मा का मानना है कि शहर में लगातार हो रहा निर्माण इस प्रदूषण की वजह है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, सीवेज लाइनों के लिए की जा रही खुदाई, रोड के नाम पर चौड़ीकरण भी प्रदूषण बढ़ने का कारण है. प्रदूषण की वजह से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
दीपक शर्मा ने कहा कि वायुस्तर खराब होने की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित विदेशी पर्यटक हो रहे हैं जो इस तरह के माहौल के लिए अभ्यस्त नहीं हैं. उनका सुझाव है कि टूरिस्ट जब आगरा आएं तो ट्रैवल एजेंसियों को उन्हें मास्क उपलब्ध कराना चाहिए.
सीपीसीबी के एक अधिकारी ने आजतक से कहा कि पीएम 2.5 का स्तर दिन में घटता-बढ़ता रहता है. वैसे तो पीएम 2.5 का आंकड़ा 125 तक पहुंचता है लेकिन कभी कभी 316 के स्तर पर पहुंच जाता है. अगर ऐसा होगा तो यह बेहद खतरनाक स्तर का होगा.