दिल्ली एनसीआर समेत गाजियाबाद में प्रदूषण का स्तर लगातार लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स कई दिनों से 400 के आसपास बना हुआ है. इससे अस्पतालों में दमा, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. ग्रेप के 4th चरण को लागू किया गया है. प्रदूषण की रोकथाम के लिए पाबंदियों को बढ़ाया गया है.
प्रदूषण की रोकथाम के लिए पानी का छिड़काव भी प्रशासन करवा रहा है, लेकिन प्रशासन के प्रयास नाकाफी नजर आ रहे हैं. गाजियाबाद में नियमों का पालन सख्ती से नहीं कराया जा रहा है. इंड्रस्ट्रियल एरिया में सड़कों पर धूल का गुबार नजर आ जाएगा. सिद्धार्थ विहार इलाके में पेड़ों पर धूल की मोटी परत जमी है.
प्रदूषण के बढ़ते स्तर का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. सांस के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. गाजियाबाद के जिला अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि पहले 300 मरीजों की ओपीडी में 50 मरीज सांस रोग के होते थे, वहीं अब यह संख्या दोगुनी से भी अधिक हो चुकी है. पॉल्यूशन के कारण बुजुर्ग लोग बीमार हो रहे हैं. उन्हें सांस लेने में परेशानी और चेस्ट इन्फेक्शन जैसी समस्याएं हो रही हैं.
डॉक्टर बोले- धूल और धुएं से बचकर रहें, भाप लेते रहें
जिला अस्पताल में तैनात सीनियर फिजीशियन डॉ. आलोक रंजन के अनुसार, लोगों को धूल और धुएं से बचकर रहना चाहिए. ऐसी जगहों पर जाने से बचें, जहां पॉल्यूशन लेबल बढ़ा हुआ है. ब्रीथिंग प्रॉब्लम के लिए भाप लेने और मास्क लेने के उपाय अपनाएं, इससे कुछ हद तक परेशानी से बच सकते हैं. स्थानीय लोग मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं.
एयर प्यूरीफायर की डिमांड में हो रहा इजाफा
साफ हवा के लिए लोग अन्य विकल्पों की तलाश कर रहे हैं. गाजियाबाद में एयर प्यूरीफायर की डिमांड में इजाफा हुआ है. गाजियाबाद के प्रताप विहार इलाके में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विक्रेता योगेश गुप्ता का कहना है कि प्रदूषण बढ़ने की वजह से लोग एयर प्यूरीफायर खरीदने और इसके बारे में पता करने आ रहे हैं. एयर प्यूरीफायर से बड़े डस्ट पार्टिकल्स हट जाते हैं और एयर साफ होने से सांस की बीमारी जैसी तकलीफ कम हो सकती है.