यूपी चुनाव से पहले बीजेपी ने पूर्व IAS एके शर्मा को बड़ी जिम्मेदारी दे दी है. उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया गया है. एक तय रणनीति के तहत बीजेपी ने उन्हें ये जिम्मेदारी दी है. उनके अलावा अर्चना मिश्रा और अमित वाल्मीकि को भी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. दोनों को प्रदेश मंत्री बना दिया गया है.
चुनाव से ठीक पहले एक पूर्व IAS को इतनी बड़ी जिम्मेदारी का मिलना मायने रखता है. ये पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने ऐसे फैसले लिए हों. लेकिन अगर एके शर्मा को ये जिम्मेदारी दी गई है, मतलब साफ है कि बीजेपी कुछ सियासी समीकरण साधने के प्रयास में है. वैसे प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव की तरफ से विभिन्न मोर्चों के प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा की गई है.
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने प्रांशुदत्त द्विवेदी (फर्रूखाबाद) को युवा मोर्चा, श्रीमती गीताशाक्य राज्यसभा सांसद (औरैया) को महिला मोर्चा, कामेश्वर सिंह (गोरखपुर) को किसान मोर्चा, नरेन्द्र कश्यप पूर्व सांसद (गाजियाबाद) को पिछड़ा वर्ग मोर्चा का अध्यक्ष घोषित किया है. इसके अलावा कौशल किशोर सांसद को अनुसूचित जाति मोर्चा, संजय गोण्ड (गोरखपुर) को अनुसूचित जनजाति मोर्चा व कुंवर बासित अली (मेरठ) को अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया है.
पीएम मोदी के करीबी हैं एके शर्मा
अब चुनाव से पहले बीजेपी की ये सक्रियता दिखा रही है कि वे पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुके हैं. पार्टी में लगातार हो रहे बदलाव भी यहीं संकेत दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में और भी कई बड़े फैसले होते दिख सकते हैं. एके शर्मा को प्रदेश उपाध्यक्ष बना ये सिलसिला शुरू हो चुका है. वैसे भी यूपी में मिशन 2022 में जुटी बीजेपी ने एके शर्मा को हाल ही में एमएलसी बनाया था. एके शर्मा को पीएम मोदी का करीबी बताया जाता है. वह पिछले करीब 18 साल से पीएम मोदी की टीम का हिस्सा रहे हैं. ऐसे में कयास तो लग रहे थे कि उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, अब प्रदेश उपाध्यक्ष बना पार्टी ने अपना इरादा साफ कर दिया है.
कांग्रेस ने कसा तंज
लेकिन एके शर्मा को जैसे ही ये पद मिला है, इस पर सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने दोनों बीजेपी और एके शर्मा पर तंज कसा है. प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय जैसा शक्तिशाली कार्यालय छोड़कर,क्या एके शर्मा जी उपाध्यक्ष बनने लखनऊ आए थे. क्या प्रदेश उपाध्यक्ष,प्रधानमंत्री कार्यालय से बड़ा है?यह नियुक्ति,कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी में जो सत्ता संघर्ष चल रहा है,इसको दर्शा रहा है
जितिन प्रसाद को लेकर भी अटकलें
वैसे इससे पहले जितिन प्रसाद का बीजेपी में आना भी अहम रहा है. कांग्रेस को छोड़ जितिन का बीजेपी का दामन थामना सियासी समीकरण बदलने वाला रहा है. वे बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में जाने जाते हैं, ऐसे में बीजेपी भी उनके जरिए इस वोट बैंक को साधने की कोशिश करने जा रही है. कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में उन्हें भी कोई बड़ा पद मिल सकता है.