मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला अब अदालत में पहुंच गया है. मथुरा की एक अदालत ने याचिका स्वीकार कर 30 सितंबर से सुनवाई की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है. इस याचिका को लेकर अब मथुरा के ही पुजारी भड़के हैं और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की अपील की आलोचना की है.
अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा की ओर से अदालत में याचिका दायर किए जाने को गलत बताया गया है. महासभा के प्रमुख महेश पाठक का कहना है कि कुछ बाहरी लोग मथुरा की शांति को भंग करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि 20वीं सदी में दोनों पक्षों ने बात कर इस मसले को सुलझा लिया था, तब से कोई विवाद ही नहीं है. दोनों समुदाय के लोग यहां साथ रहते हैं जो हर किसी के लिए उदाहरण है.
आपको बता दें कि बीते शुक्रवार को यहां की जिला अदालत में एक याचिका दायर करते हुए 1968 में हुए समझौते को गलत करार दिया. साथ ही कहा कि अब पूरी जमीन को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को दिया जाना चाहिए.
इस मामले में यूपी सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भी बयान दिया, उन्होंने कहा कि हर किसी को अपने धर्म का अनुसरण करने की छूट है. केस दर्ज होने पर उन्होंने कहा कि उसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है, देश में लोकतंत्र है और कोई भी केस दायर कर सकता है.
याचिका को दायर करके मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास की कुल 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व मांगा गया है. जबकि शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के लिए कहा गया है. अदालत में सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन के साथ भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री ने कोर्ट में यह सिविल सूट दायर किया है.