scorecardresearch
 

फिर नोएडा नहीं आए अखिलेश, टोटका बरकरार

यूपी के राजनीतिक गलियारों में एक टोटका बड़ा ही प्रचलित है वह यह 'जो भी नेता मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा जाता है उसकी कुर्सी चली जाती है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शायद इस टोटके से इस कदर भयभीत हैं कि पिछले वर्ष मार्च में सरकार बनाने के बाद तीन मौके आए जब उन्हें नोएडा जाना जरूरी था लेकिन वह नहीं गए. 

Advertisement
X
अखिलेश यादव
अखिलेश यादव

यूपी के राजनीतिक गलियारों में एक टोटका बड़ा ही प्रचलित है वह यह 'जो भी नेता मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा जाता है उसकी कुर्सी चली जाती है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शायद इस टोटके से इस कदर भयभीत हैं कि पिछले वर्ष मार्च में सरकार बनाने के बाद तीन मौके आए जब उन्हें नोएडा जाना जरूरी था लेकिन वह नहीं गए.

Advertisement

अब ताजा मामला छह सितंबर को नोएडा में 'नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एवं सर्विसेज कंपनीज (नॉसकॉम) के सेंटर के उद्घाटन का है. नोएडा को लेकर फैले अंधविश्वास के चलते मुख्यमंत्री नॉसकॉम के सेंटर का उद्घाटन दिल्ली से करेंगे. इससे पहले इसी वर्ष 2 अप्रैल को अखिलेश यादव ने नोएडा के लिए 3000 कारों की पार्किंग और नोएडा मेडिकल यूनिवर्सिटी की शुरुआत लखनऊ में अपने 5, कालीदास मार्ग पर मौजूद अपने आवास से की.

नोएडा में ही 2 मई से एशियन डेवलेपमेंट बैंक की बैठक हुई. इसमें दुनिया भर से निवेशक मौजूद थे और मुख्यमंत्री के तौर पर अखिलेश यादव को भी जाना था लेकिन बाद में उनका कार्यक्रम बदल गया. अखिलेश की जगह इस कार्यक्रम में प्रोटोकाल मिनिस्टर अभिषेक मिश्रा ने शिरकत की. पिछले वर्ष अगस्त में नोएडा आगरा के बीच बने यमुना एक्सप्रेस वे का उद्घाटन भी अखिलेश यादव ने लखनऊ में अपने सरकारी आवास से ही किया था.

Advertisement

नोएडा के बारे में यह टोटका उस समय चर्चा में आया जब 1995 में बतौर मुख्यमंत्री नोएडा में एक कार्यक्रम में शिरकत करने के कुछ ही महीने बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को पद छोडऩा पड़ा था. इसके बाद सितंबर 1999 में कल्याण सिंह बतौर मुख्यमंत्री यहां आए थे और उसके बाद नवंबर में उन्हें मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा. कल्याण सिंह के बार राम प्रकाश गुप्ता यूपी के मुख्यमंत्री बने. अक्टूबर, 2000 में कुर्सी छोडऩे से कुछ दिन पहले गुप् ता भी एक सरकारी कार्यक्रम में हिस्सा लेने नोएडा गए थे. हालांकि इनके बाद मुख्यमंत्री बने राजनाथ सिंह ने नोएडा के बारे में इस टोटके को भांप लिया था और वह दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान एक बार भी इस जिले की ओर रुख नहीं किया.

इसके बाद मुख्यमंत्री बने मुलायम सिंह यादव ने भी नोएडा से दूरी बनाए रखी. 2006 में निठारी कांड के बावजूद सीएम रहते मुलायम यहां नहीं गए. इस टोटके को तोड़ा मायावती ने. चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद मायावती अक्टूबर, 2011 में नोएडा आई और अगले की साल चुनाव में उनकी सरकार चली गई थी. सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी हालांकि नोएडा को लेकर किसी भी प्रकार के टोटके की आशंका से इंकार करते हैं लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का इस जिले से दूरी बनाए रखना कुछ सवाल तो पैदा ही करता है.

Advertisement
Advertisement