जिन महत्वाकांक्षी योजनाओं के दावों के बूते मुख्यमंत्री और सपा प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी के विधानसभा चुनाव में यूपी में विजय पताका फहराई थी वे ही योजनाएं अब लोकसभा चुनाव के ऐन पहले सपा सरकार के एजेंडे से गायब हो गई हैं.
प्रदेश सरकार के वित्तीय वर्ष 2014-15 के विकास एजेंडे में कई नई योजनाएं तो शामिल हो गईं लेकिन सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली कई योजनाओं का जिक्र तक नहीं है. युवाओं को लैपटॉप व टैबलेट के अलावा गरीब बुजुर्गों को कंबल व महिलाओं को साड़ी देने की घोषणाएं नए साल में मुख्यमंत्री के प्राथमिकता वाले एजेंडे से गायब हैं.
राज्य सरकार ने विधानसभा चुनाव-2012 में इंटरमीडिएट पास युवाओं को लैपटॉप व हाईस्कूल पास विद्यार्थियों को टैबलेट देने का ऐलान किया था. सरकार ने दो साल के कार्यकाल में एक सत्र में इंटरमीडिएट पास करीब 15 लाख युवाओं को लैपटॉप देने का दावा किया, लेकिन वह हाईस्कूल पास छात्रों को टैबलेट एक बार भी नहीं दे पाई है.
वर्ष 2013-14 के एजेंडे में माध्यमिक शिक्षा विभाग के विकास सूत्र में लैपटॉप व टैबलेट देने को कन्या विद्या धन योजना के ऊपर स्थान दिया गया था. मगर इस बार विभाग के एजेंडे में कन्या विद्या धन तो है लेकिन लैपटॉप व टैबलेट नहीं है. इतना ही नहीं प्रदेश सरकार ने 65 वर्ष से ऊपर के गरीब बुजुर्गों को एक-एक कंबल और 18 वर्ष या इससे ऊपर की महिलाओं को साल में दो-दो साड़ी देने की बात भी कही थी.
800 करोड़ रुपये की व्यवस्था के बावजूद सरकार इन दो सालों में साड़ी-कंबल का वितरण शुरू नहीं कर पाई है. वर्ष 2014-15 में सरकार की प्राथमिकताओं का जो विकास एजेंडा तय किया गया है उसमें इस योजना का भी जिक्र नहीं है.