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मुसलमानों को फिर लुभाने में जुटे अखिलेश, निजी कॉलेजों के मुस्लिम छात्रों को मिलेगा वजीफा

सरकार ने अभी से ढाई साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों पर अपनी नजरें टिका दी हैं. इसके लिए फिर से अल्पसंख्यकों को खुश करने की तैयारी की जा रही है.

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सरकार ने अभी से ढाई साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों पर अपनी नजरें टिका दी हैं. इसके लिए फिर से अल्पसंख्यकों को खुश करने की तैयारी की जा रही है. सरकार का निशाना अब खास तौर से अल्पसंख्यक वर्ग के वे युवा हैं, जो उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं. सरकार इन्हें भी वजीफा देने की तैयारी कर रही है.

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पिछले विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यकों को जोड़कर जिस तरह सपा ने सरकार बनाई थी, उसी फार्मूले पर काम करते हुए आने वाले दिनों में भी सरकार की प्राथमिकता में अल्पसंख्यक ही हैं. सरकार अब निजी संस्थानों से उच्च शिक्षा लेने वाले सभी अल्पसंख्यक छात्रों को भी छात्रवृत्ति देने की योजना बना रही है.

पिछले साल करीब डेढ़ लाख निजी संस्थानों के अल्पसंख्यक छात्र छात्रवृत्ति पाने से वंचित रह गए थे. बजट के अभाव में निजी संस्थानों के 49,867 अल्पसंख्यक छात्रों को ही पिछले साल छात्रवृत्ति मिल पाई थी. डेढ़ लाख छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए सरकार इस बजट सत्र में धन की व्यवस्था करेगी. इसके लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने अपनी ओर से खाका तैयार कर सरकार को भेज दिया है.

सरकार की ओर से अभी भी उच्च शिक्षा लेने वाले अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति दी जा रह है लेकिन इसका लाभ सिर्फ सरकारी और राज्य सहायता प्राप्त संस्थानों से पढऩे वाले विद्यार्थियों को ही मिल पा रहा है. निजी संस्थान से पढऩे वाले लाखों छात्र सरकार की इस सुविधा से वंचित रह जाते हैं. सरकार ने पिछले साल सरकारी संस्थानों के 36,051 और राज्य सहायता प्राप्‍त संस्थानों के 1,36,860 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दिया था.

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सरकार ने छात्रवृत्ति के लिए पिछले बजट में जितने धन की व्यवस्था की थी, वह सरकारी व राज्य सहायता प्राप् त संस्थानों के 172911 छात्रों में ही लगभग खर्च हो गया, जबकि निजी संस्थानों में फ्री सीट पर करीब दो लाख छात्र थे, जिसमें से 49867 छात्रों को ही छात्रवृत्ति का लाभ मिल पाया. बाकी के डेढ़ लाख छात्र बिना छात्रवृत्ति के ही रह गए.

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि सरकार की ओर से अभी जो बजट मिलता था, उससे सिर्फ सरकारी व राज्य सहायता प्राप्त संस्थान के विद्यार्थियों को ही छात्रवृत्ति मिल पाती थी. विद्यार्थियों की जितनी संख्या सरकारी व राज्य सहायता प्राप्त संस्थानों में होती है, उससे कई गुना अधिक निजी संस्थानों में होती है. ऐसे में सरकार का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा था.

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