उत्तर प्रदेश में दिन-ब-दिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच राजनीतिक खेल गहराता जा रहा है. यूपी में साम्प्रदायिक सौहार्द के खतरे के बीच अखिलेश सरकार कानपुर में 15 अक्टूबर और बहराइच में 8 नवंबर को होने वाली बीजेपी के पीएम इन वेटिंग नरेंद्र मोदी की रैलियों पर बैन लगाने के बारे में सोच रही है.
कानपुर और बहराइच प्रशासन ने सरकार से कहा है कि इन रैलियों से उनके इलाके में साम्प्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है. प्रशासन को बीजेपी की मंशा पर भी संदेह है क्योंकि ये दोनों रैलियां मुस्लिम पर्व के दिन आयोजित की जा रही हैं. आपको बता दें कि कानपुर और बहराइच में मुसलमानों की अच्छी-खासी तादाद है.
एक अधिकारी के मुताबिक, '15 अक्टूबर को बकर-ईद हो सकती है और इसी दिन मोदी कानपुर में रैली करने वाले हैं. वहीं, 5 नवंबर को मोहर्रम है. इन तारीखों पर मोदी की रैली से माहौल खराब हो सकता है.'
उन्होंने कहा, 'सरकार को बीजेपी नेताओं से बात कर रैली की तारीख बदलवा देनी चाहिए. लेकिन पुराने अनुभवों से तो हमें यही लगता है कि सरकार हिंदू और मुस्लिम वोटों का ध्रूवीकरण करने के लिए रैलियों पर पाबंदी लगाकर विवाद खड़ा करने की कोशिश करेगी.'
सपा के राज्य प्रवक्ता और जेल मंत्री राजेंद्र चौधरी से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, 'ऐसी राजनीतिक पार्टियां भी हैं जो राज्य में साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश कर रही हैं. रैलियों के जरिए माहौल खराब करने की साजिश रच रहे लोगों को यह पता होना चाहिए कि हम यूपी में ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे. हम ऐसी रैलियों को आयोजित करने की मंजूरी नहीं दे सकते.'
हालांकि बीजेपी ने ऐसी किसी मंशा से इनकार किया हे. बीजेपी के यूपी अध्यक्ष लक्ष्मी कांत वाजपेयी का कहना है, 'मोदी की रैलियां ऐतिहासिक होंगी. जो लोग इसे साम्प्रदायिक दंगों से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें यह नहीं भूलन चाहिए कि चुनाव के दौरान रैलियां होना आम बात है. सपा को डर है कि 2014 के लोक सभा चुनाव में मोदी उसे उखाड़ फेकेंगे.'
उन्होंने कहा, 'मोदी की रैली पर अगर किसी भी तरह का बैन लगाया गया तो हम समझेंगे कि सपा ने चुनाव से पहले ही हार मान ली है.'
वैसे चौंकाने वाली बात यह है कि मोदी की रैलियों पर संभावित बैन को लेकर कांग्रेस खासी उत्साहित नहीं है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नसीब पठान के मुताबिक, 'मुजफ्फरनगर के आसपास रैलियों पर पाबंदी लगानी चाहिए क्योंकि हाल ही में वहां दंगे हुए थे. लेकिन मुझे नहीं लगता कि कहीं और मोदी की रैली पर बैन लगाने की कोई वजह है. यह चुनाव का समय है और जन सभा आयोजित करना किसी भी राजनीतिक दल का लोकतांत्रिक अधिकार है.'