अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की दूरी कुछ इस कदर बढ़ चुकी है कि दोनों में किसी मुद्दे पर समझौते की कोई गुंजाइश नहीं दिखती, मुख्यमंत्री पद को लेकर मची किचकिच अभी थमी भी नहीं थी कि अब महागठबंधन पर भी दोनों गुटों में किचकिच शुरू हो चुकी है. अखिलेश यादव के सामने ही उनके मंत्री शैलेन्द्र यादव उर्फ ललई ने सार्वजनिक रूप से महागठबंधन के शिवपाल यादव के प्रयासों को जमकर आड़े हाथों लिया.
दरअसल कार्यक्रम तो था आज से पूरे प्रदेश में 24 घंटे बिजली शुरू करने को लेकर लेकिन ये सरकारी कार्यक्रम परी तरह से सियासी हो गया. शुरुआत बिजली राज्य मंत्री और अखिलेश के करीबी शैलेन्द्र यादव उर्फ ललई ने की, जिन्होंने अपने 8 मिनट के भाषण में इशारों में ही सही लेकिन शिवपाल यादव और महागठबंधन बनाने के उनके प्रयासों को खूब खरी-खोटी सुनाई.
अखिलेश की तुलना कोहिनूर हीरे से
मंत्री शैलेन्द्र उर्फ ललई यादव ने अखिलेश यादव की तुलना कोहिनूर हीरे से की जबकि शिवपाल यादव के महागठबंधन बनाने के प्रयासों को हीरे के सामने पत्थरों को जोड़ने से की. ललई यादव ने कहा आज कुछ लोग कोहिनूर हीरे को दबाने के लिए पत्थरों को जुटाने का प्रयास कर रहे हैं. कोहिनूर कोहिनूर रहेगा, 100 पत्थर इकट्ठे कर दो कोई कोहिनूर की तुलना नहीं कर सकता. ललई ने कहा चाहे कितने भी पत्थर इकट्ठे कर लो कोहिनूर कोहिनूर ही रहेगा. साफ है इशारा शिवपाल यादव के उन कोशिशो की तरफ था जहां वो यूपी में महागठबंधन बनाने के लिए पहल करते नजर आ रहे हैं. शिवपाल यादव कि ये वो पहल है जिसमें अखिलेश यादव की सहमति नहीं दिखती.
अखिलेश की गंगाजल से तुलना
मंत्री शैलेन्द्र उर्फ ललई यादव यहीं नहीं रूके, उन्होंने अखिलेश यादव की तुलना गंगाजल से भी की. उन्होंने अखिलेश यादव की तुलना गंगाजल से करने लिए ज्ञानी जैल सिंह के उस प्रसिद्ध वाक्य को कहा जिसमें उन्होंने कहा था कि गंगा के किनारे रहने वाले लोग गंगा की कीमत नहीं जानते जो हजारों किलोमीटर से आते हैं और गंगाजल ले जाते हैं वो इसकी कीमत जानते हैं, न जाने उत्तर प्रदेश के लोग इस गंगाजल की कीमत कब जानेंगे. साफ मंत्री का ये इशारा मुलायम सिंह की ओर भी हो सकता है.
बीजेपी नेता के बयान का दिया हवाला
ललई ने आगे बीजेपी के एक बड़े नेता के बयान का हवाला देते हुए कहा कि वो पार्टी जो हमारी विचारधारा के बिल्कुल उलट हैं उसके एक बड़े नेता ने कहा है कि जिस तरह का काम अखिलेश यादव कर रहे हैं वो एक दिन इस देश के सर्वोच्च नेता बनेंगे.
बहरहाल 5 नवंबर को समाजवादी पार्टी अपना रजत जयंती कार्यक्रम मनाने जा रही है, इस कार्यक्रम के बहाने ही एक महागठबंधन को स्वरूप देने की कोशिश हो रही है, हालांकि इस कोशिश को शिवपाल यादव कर रहे हैं ऐसे में अखिलेश खेमा इसे लेकर न तो उत्साहित ना ही तवज्जो देना चाहता है. अखिलेश के मंत्री के बयान से ये साफ हो गया कि शिवपाल के इस पहल पर जबतक अखिलेश की मुहर नहीं लगती तबतक महागठबंधन की इस कोशिश को शायद ही कोई गंभीरता से ले.