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अखिलेश सरकार के मंत्रियों पर चढ़ा चस्का विदेश जाने का

उत्तर प्रदेश में साल 2012 में सत्ता परिवर्तन होते ही अखिलेश सरकार ने कहा था कि पूर्ववर्ती सरकार खजाना खाली कर गई है. इसके बाद घाटे का बजट पेश किया गया, मगर अहम बात यह है कि तिजोरी खाली होने पर भी अखिलेश सरकार के पांच मंत्रियों ने विदेश यात्राएं कीं, जबकि मायावती सरकार के सिर्फ एक मंत्री को ऐसा मौका हाथ लगा था.

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अखिलेश यादव
अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश में साल 2012 में सत्ता परिवर्तन होते ही अखिलेश सरकार ने कहा था कि पूर्ववर्ती सरकार खजाना खाली कर गई है. इसके बाद घाटे का बजट पेश किया गया, मगर अहम बात यह है कि तिजोरी खाली होने पर भी अखिलेश सरकार के पांच मंत्रियों ने विदेश यात्राएं कीं, जबकि मायावती सरकार के सिर्फ एक मंत्री को ऐसा मौका हाथ लगा था.

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आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, सत्ता में आने के सवा आठ महीने में माया सरकार के 'एक' के मुकाबले अखिलेश सरकार के 'पांच' मंत्रियों ने विदेश दौरे किए. बड़ा सवाल यह है कि सामान्य प्रक्रिया में हम पहले अपनी मूलभूत आवश्कताओं की पूर्ति करते हैं और उसके बाद विलास पर. अब ऐसा क्यों है कि मंत्री जो स्वयं को जनप्रतिनिधि कहते हैं, वे जनता को अभाव में छोड़कर खुद विलास में लग जाते हैं?

इस सच्चाई को सामने लाने वाली आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने बताया कि उनका संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान इस संबंध में राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर रहा है कि जब तक सरकारी तंत्र प्रदेश को शून्य घाटे का बजट नहीं दे देता है तब तक राजनेताओं और नौकरशाही के इस प्रकार के भोग-विलास के खर्च पर रोक लगाई जाए.

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उर्वशी ने बताया कि उन्होंने 22 नवंबर 2012 को मुख्य सचिव कार्यालय से सूचना मांगी थी. उस समय तक अखिलेश सरकार को सत्ता में आए हुए सवा आठ महीने हुए थे. इसके अलावा तुलनात्मक अध्ययन के लिए उर्वशी ने मायावती सरकार के आरंभिक सवा आठ महीने की भी सूचना मांगी थी. उस पत्र का जवाब सूचनायुक्त रणजीत सिंह पंकज के हस्तक्षेप के बाद अब 1 जुलाई 2013 को दी गई. इस तरह प्रदेश सरकार ने सवा आठ महीने की अवधि की सूचना देने में ही सवा सात महीने लगा दिए.

नियमानुसार, एक महीने में मिलने वाली सूचना को सवा सात महीने बाद सूचना आयोग के हस्तक्षेप के बाद मिलना उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना के अधिकार के प्रति असंवेदनशील रवैये का जीवंत उदाहरण भी है.

इन मंत्रियों ने की विदेश यात्राः
गोपन विभाग के विशेष सचिव कृष्ण गोपाल की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले साल 15 मार्च से 22 नवंबर के बीच पांच मंत्रियों ने विदेश के दौरे किए. लोक निर्माण और विदेश मंत्री शिवपाल सिंह यादव 9 से 12 सितंबर तक इजरायल के दौरे पर गए. उनका यह दौरा इजरायल की कंपनी 'मेकोरेट डेवलेपमेंट एंड इंटरप्राइजेज' और इजरायल दूतावास द्वारा भारत व इजरायल के बीच पारस्परिक सहयोग और द्विपक्षीय विकास के सिलसिले में था.
लघु उद्योग और निर्यात प्रोत्साहन राज्यमंत्री भगवत सरन गंगवार ने 5 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक ओसाका, जापान का दौरा किया. वे वहां इंडिया मेला- 2012 में शामिल होने गए थे.
प्रोटोकाल राज्यमंत्री अभिषेक मिश्र ऑस्ट्रेलिया-इंडिया इंस्टीट्यूट्स कान्फ्रेंस में शिरकत करने के लिए 29 अक्टूबर से 6 नवंबर तक ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर रहे.
पर्यटन राज्यमंत्री मूलचंद्र चौहान 4 से 10 नवंबर तक वर्ल्ड ट्रेवल मार्केट में शामिल होने के लिए लंदन गए थे.
वाह्य सहायतित परियोजना एवं ग्राम्य विकास राज्यमंत्री रामकरण आर्य 8 से 12 अक्टूबर तक नेपाल में काठमांडू, पशुपतिनाथ समेत विभिन्न धार्मिक स्थलों के भ्रमण पर गए थे.

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इन मंत्रियों ने अपने ये दौरे सरकारी खर्चे पर ही किए थे. वहीं दूसरी ओर पूर्ववर्ती मायावती सरकार के शुरुआती आठ महीनों में केवल तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री राकेश धर त्रिपाठी ही 13 जुलाई, 2007 से 15 जुलाई, 2007 तक छठे विश्व हिंदी सम्मेलन में भाग लेने न्यूयॉर्क गए थे.

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