रविवार 15 सितंबर की दोपहर दो बजे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुजफ्फरनगर के बसीकला गांव पहुंचे. यहां पर बने मंच पर वह चढ़े ही थे कि कुछ गांव वालों ने उनके हाथ में एक पर्ची थमा दी. इसमें गांव और जिले में हिंसा के लिए जिम्मेदार सात अफसरों के नाम थे.
करीब दस मिनट तक मंच से ग्रामीणों का हालचाल पूछने के बाद अखिलेश पर्ची दिखाते हुए बोले ' अफसरों के नाम की पर्ची ले जा रहे हैं, बख्शेंगे नहीं.'
शाम को लखनऊ पहुंचकर अखिलेश यादव ने गृह विभाग के कुछ बड़े अधिकारियों से बातचीत की और मुजफ्फरनगर में हुए दंगों को रोकने में पुलिस अधिकारियों की कमजोरी पर नाराजगी जाहिर की. मुख्यमंत्री का इशारा मिलते ही गृह विभाग ने मेरठ और सहारनपुर के कमिश्नर और मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, मेरठ और बागपत के डीएम से दंगों के फैलने से रोकने के लिए की गई कार्रवाई का ब्योरा तो मांगा ही साथ में उन वजहों को भी गिनाने का निर्देश दिया गया है जिनके कारण प्रशासन पूरी तरह नाकारा साबित हुआ है.
सभी अफसरों सें तीन दिन के भीतर अपने जवाब सौंपने को कहा गया है. गृह विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि कमिश्नर और डीएम के जवाब मिलने के बाद से दोषी अफसरों को चिन्हित कर उनपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस बार सरकार दंगा रोकने में नकारा साबित होने वाले अफसरों पर कड़ी कार्रवाई कर दूसरे अफसरों में सुस्ती न बरतने का भय पैदा करना चाहती है.
सरकार की असली चिंता अगले महीने शुरू होने वाली गणेश पूजा को लेकर है. पिछले वर्ष फैजाबाद में दंगा इसी पूजा के दौरान हुआ था और इंटेलिजेंस से मिली सूचना के मुताबिक इस बार भी पूर्वांचल के जिलों में दंगे की चिंगारी भड़क सकती है.
गृह विभाग के अधिकारी उन पिछले दस वर्षों में विभिन्न जिलों में एसपी या एसएसपी के रूप में तैनात रहे उन अधिकारियों की सूची तैयार करने में लगे हैं जिनके कार्यकाल में सबसे कम सांप्रदायिक तनाव रहा.
सोमवार 16 सितंबर से एक हफ्ते तक चलने वाले विधानसभा सत्र के बाद अखिलेश यादव सरकार बड़े पैमाने पर अधिकारियों को इधर-उधर कर सकती है.