संवैधानिक आधार के बजाय उत्तर प्रदेश को आबादी के लिहाज से धन आवंटित किया जाना चाहिए. 1971 की जनगणना को आधार मानना प्रासंगिक नहीं है, 2011 की जनगणना को आधार बनाया जाना चाहिए. इन्हीं तर्कों के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 14वें वित्त आयोग से सूबे के लिए धन मांगा.
मुख्यमंत्री ने आयोग से प्रदेश को 2,55,669 करोड़ की धनराशि आवंटित करने की मांग की. मुख्यमंत्री ने कहा कि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के विकास के बिना देश का विकास का संभव नहीं है. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि केंद्रीय संसाधनों का उपयोग कर पिछड़े राज्यों को सबसे पहले राष्ट्रीय औसत के स्तर पर लाने का प्रयास होना चाहिए. प्रदेश की मौजूदा चुनौतियों का उल्लेख करते हुए राज्य के पिछड़ेपन को दूर करने एवं प्रदेश के समग्र विकास के लिए वित्त आयोग से और अधिक धन दिए जाने की मांग की है. मुख्यमंत्री ने गुरुवार को योजना भवन में 14वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. वाईवी रेड्डी के नेतृत्व में आए आयोग के सदस्यों, अभिजीत सेन, सुषमा नाथ, डॉ. एम.गोविंदा राव और सचिव एएन झ के साथ विचार-विमर्श किया.
इस अवसर पर लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव, स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन, पंचायती राज मंत्री बलराम यादव, बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी के अलावा राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष एनसी बाजपेयी ने भी आयोग के समक्ष प्रदेश सरकार का पक्ष रखा. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय अन्तरण के अतिरिक्त प्रदेश को सहायता अनुदान तथा राज्य विशिष्ट अनुदान के तहत 72526 करोड़ रुपये की सहायता की मांग की.