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बढ़ सकती हैं अखिलेश की मुश्किलें, अवैध खनन मामले में ED ने दर्ज किया मनी लॉन्ड्रिंग का केस

लोकसभा चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश अवैध खनन मामले की जांच में आई है, सीबीआई के एफआईआर को आधार बनाते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है.

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अखिलेश यादव, अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी (फाइल फोटो-@yadavakhilesh)
अखिलेश यादव, अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी (फाइल फोटो-@yadavakhilesh)

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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के ऐलान के बाद अवैध खनन मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उत्तर प्रदेश के कथित अवैध खनन से जुड़े मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है. ईडी की तरफ से यह केस सीबीआई के उस एफआईआर पर आधारित है, जिसमें 2012-16 के दौरान उत्तर प्रदेश के सभी खनन मंत्रियों के साथ अखिलेश यादव की भूमिका की भी जांच हो रही है.

गौतरतलब है कि अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, 2012 से 13 तक खनन मंत्रालय भी उन्हीं के पास था.  एजेंसी के मुताबित तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2012-13 में 14 खनन टेंडर को मंजूरी दी थी, जिनकी जांच हो रही है. सूत्रों से मुताबिक समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से अवैध खनन टेंडर मामले में पूछताछ हो सकती है. इंडिया टुडे को प्राप्त जानकारी के मुताबिक यूपी सरकार द्वारा 2012 से 2016 के दौरान कुल 22 टेंडर पास किए गए, जिसमें 14 टेंडर अखिलेश के खनन मंत्री रहते पास किए गए.

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ईडी की यह कार्रवाई अवैध खनन मामले में सीबीआई द्वारा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं के यहां छापेमारी के बाद हुई है. इन छापेमारी को लेकर अखिलेश यादव समेत विपक्ष के तमाम नेताओं ने सीबीआई की आलोचना करते हुए आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार राजनीतिक लाभ के लिए जांच एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है. सीबीआई ने अवैध खनन मामले में यूपी में कई जगहों समेत दिल्ली में छापेमारी की थी.

इस दौरान कई वरिष्ठ अधिकारियों समेत आईएएस बी. चंद्रकला के घर भी छापेमारी हुई थी. चंद्रकला बिजनौर, मेरठ और बुलंदशहर की डीएम रह चुकी हैं. इससे पहले भी अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान चंद्रकला का नाम अवैध खनन मामले में सामने आ चुका है. इस मामले में समाजवादी पार्टी के एमएलसी रमेश मिश्रा और उनके भाई, खनन विभाग में क्लर्क आश्रय प्रजापति, अंबिका तिवारी, राम अवतार सिंह और उनके रिश्तेदार और संजय दीक्षित को आरोपी बनाया गया है. जांच एजेंसी के मुताबिक इन अधिकारियों ने कथित तौर पर 2012-16 में अवैध खनन की अनुमति दी थी.

सूत्रों के मुताबिक 22 खनन पट्टों में से 14 पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में दिए गए. बाकी पट्टे अन्य खनन मंत्री गायत्री प्रजापति के खनन मंत्री रहने के दौरान जारी किए गए. इसमें नियमों का उल्लंघन हुआ था. अखिलेश यादव और गायत्री प्रजापति ने खनन की मंजूरी दी थी, जिसे मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित किया गया था. सरकारी नियम के मुताबिक 5 लाख रुपये से ऊपर सभी पट्टों पर मुख्यमंत्री की मंजूरी जरूरी होती है. सीबीआई के मुताबिक मामले में आरोपी बनाए गए लोगों ने अवैध तरीके से मंजूरी ली और नए सिरे से पट्टे दिए. इन लोगों ने पट्टाधारकों से अवैध वसूली की. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 5 जिलों-शामली, हमीरपुर, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर और देवरिया में सीबीआई को अवैध खनन के आरोपों की जांच करने के निर्देश दिए थे.

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