सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव शुक्रवार को आजम खान का हाल जानने दिल्ली पहुंचे. आजम पिछले 3 दिन से गंगा राम अस्पताल में भर्ती थे. आज वह डिस्चार्ज होकर यूपी सदन दिल्ली के सरकारी आवास पहुंच गए. उनकी इस मुलाकात के अब कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक मुलाकात के दौरान अखिलेश ने आजम खान को 28 सितंबर को राज्य और 29 सितंबर को राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए निमंत्रण भी दिया है. उम्मीद जताई जा रही है कि मुलायम सिंह यादव सम्मेलन में शामिल हो सकते हैं. वहीं इस अधिवेशन में अखिलेश दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाएंगे. पिछली बार 2017 में अधिवेशन में अखिलेश को पहली बार पार्टी की कमान सौंपी गई थी.
जुलाई में विधायकों की बैठक में नहीं आए थे आजम
जून में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधायकों की बैठक बुलाई थी. लेकिन बैठक में रामपुर सदर से विधायक आजम खान नहीं पहुंचे थे.
इससे पहले योगी सरकार बनने के बाद 23 मई से पहला विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले योगी सरकार को घेरने के लिए सपा ने विधानमंडल दल की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में भी सपा विधायक आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम शामिल नहीं हुए थे. ऐसे में अखिलेश की आजम खान के साथ मुलाकात को अहम माना जा रहा है.
28 को राष्ट्रीय सम्मेलन, 29 को राज्य सम्मेलन
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय व राज्य सम्मेलन बुलाया है. ये दो दिनी सम्मेलन लखनऊ में आयोजित होंगे. यह पार्टी का 11वां सम्मेलन होगा. जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय सम्मेलन 28 सितंबर और राज्य सम्मेलन 29 सितंबर को होगा.
सम्मेलनों में प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के अलावा लोकसभा चुनाव 2024 के सम्बंध में चर्चा होगी. इसके अलावा सम्मेलन में देश, प्रदेश की राजनीतिक, आर्थिक स्थिति पर प्रस्ताव पारित किया जाएगा. मालूम हो कि सपा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के पद को छोड़कर अन्य सभी कमेटियां भंग कर दी हैं.
पार्टी अभी बड़े पैमाने पर सदस्यता अभियान चला रही है. प्रदेश कार्यालय में करीब 50 विधानसभा क्षेत्र की सदस्यता अभियान से जुड़ी रसीद जमा हैं.
बीजेपी के कारनामों पर सम्मेलनों में होगी चर्चा
अखिलेश यादव ने सम्मेलनों की घोषणा करते हुए कहा था,'जिस तरह से बीजेपी ने राजनीतिक एवं आर्थिक संकट पैदा किया है और लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ खिलवाड़ किया है.
इन सम्मेलनों में राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर लोकतांत्रिक संस्थाओं को बीजेपी द्वारा कमजोर किए जाने, अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट, राजनीतिक दल-बदल को बढ़ावा देने और सामाजिक सद्भाव को खतरे में डालने पर भी विशेष चर्चा होगी.
इसके अलावा यूपी में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र की बदहाली, बढ़ते भ्रष्टाचार और किसानों-नौजवानों के साथ धोखा आदि मसलों पर राजनीतिक-आर्थिक प्रस्तावो के जरिये प्रकाश डाला जाएगा.