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अखिलेश यादव ने रखी इफ्तार पार्टी, मुलायम के आने पर सस्पेंस बरकरार

यूपी में हार के बाद समाजवादी पार्टी फिर संभल रही है. नए अध्यक्ष पार्टी की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. वो जल्द ही इफ्तार पार्टी देने जा रहे हैं. पार्टी के बतौर अध्यक्ष यह उनकी पहली इफ्तार पार्टी होगी. अभी तक मुलायम ही इफ्तार दिया करते थे.

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अखिलेश यादव ने आयोजित की इफ्तार पार्टी
अखिलेश यादव ने आयोजित की इफ्तार पार्टी

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यूपी में हार के बाद समाजवादी पार्टी फिर संभल रही है. नए अध्यक्ष पार्टी की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. वो जल्द ही इफ्तार पार्टी देने जा रहे हैं. पार्टी के बतौर अध्यक्ष यह उनकी पहली इफ्तार पार्टी होगी. अभी तक मुलायम ही इफ्तार दिया करते थे. तैयारियां जोरों पर हैं. पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि चुनाव के दौरान पारिवारिक विवाद के बाद क्या खुद मुलायम अखिलेश की पार्टी में शामिल होंगे?

मशहूर रही है मुलायम की इफ्तार पार्टी
मुलायम ने 1992 में सपा का गठन किया था. इसके बाद उन्होंने राज्य के अल्पसंख्यकों को एकजुट किया. सपा की सरकार बनने में यूपी के यादवों के बाद मुस्लिम बहुल वोटों का बहुत बड़ा योगदान रहा है. ऐसे में मुलायम की इफ्तार पार्टियों में छोटे-बड़े सब शिरकत करते दिखे हैं.

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नहीं शामिल होंगे शिवपाल
मुलायम शामिल होंगे या नहीं फिलहाल पार्टी का कोई नेता इस बारे में बोलने को तैयार नहीं है. पर यह साफ हो गया है कि अखिलेश यादव के चाचा यानी शिवपाल यादव नहीं पहुंच रहे हैं. बता दें कि मुलायम फिलहाल पार्टी के संरक्षक है. शिवपाल पिछले साल अक्टूबर से ही नाराज चल रहे हैं. मुलायम के सामने अखिलेश से मंच पर उनका वाद-विवाद चुनाव के दौरान देखा जा चुका है. ऐसे में पहले से ही ये संभावना थी कि वह अखिलेश के साथ शायद ही ऐसी किसी पार्टी में नजर आएं.

कैसी होगी सपा की इफ्तार पार्टी?
लखनऊ में पार्टी के दफ्तर पर इफ्तार की तैयारियां जोरों पर है. बड़े-बड़े पंडाल लगाए जा रहे हैं यहां तक की कालिदास मार्ग के बाहर स्टील फ्रेमिंग के बड़े टेंट लगाए गए हैं, ताकि शिरकत करने वाले हजारों लोग इसमें शामिल हो सके. पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे आजम खान से लेकर कई छोटे-बड़े नेताओं की मौजूदगी की उम्मीद की जा रही है.

राजनीतिक सियासत को पार्टी से रखा गया दूर
अखिलेश यादव ने फिलहाल इफ्तार पार्टी को सियासी जमावड़े से दूर रखा है. यह इफ्तार सिर्फ पार्टी के लोगों के लिए रखी गई है. इसमें किसी सरकारी पद पर या संवैधानिक पद पर आसीन लोगों को नहीं बुलाया गया. पहले भी पार्टियां इस बात का ख्याल रखती हैं किस संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को पार्टियों को इफ्तार से दूर रखा जाए.

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