समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को चुनाव आयोग पर हमला बोल दिया. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने अगर खुद विधानसभा चुनाव 2022 में मतदाता सूची संबंधी नियमों का पालन किया होता तो हजारों मतदाता वोटिंग से वंचित नहीं रह जाते.
अखिलेश यादव ने कहा,' बीजेपी सरकार द्वारा विपक्ष की आवाज को दबाने की साजिश की जाती है. चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हों, चुनाव आयोग का यह संवैधानिक दायित्व है. बिना किसी डर या लालच के प्रशासकीय तंत्र के दबाव से परे मतदान की प्रक्रिया सुनिश्चित करना भी चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है.'
उन्होंने पूछा कि 2022 के विधानसभा चुनाव से संबंधित तमाम शिकायतों और ज्ञापनों का संज्ञान चुनाव आयोग द्वारा क्यों नहीं लिया गया
पति प्रत्याशी फिर भी डीआईजी का ट्रांसफर नहीं किया
अखिलेश ने कहा,'विधानसभा चुनाव 2022 में तमाम धांधलियां हुईं, जिनके प्रति समाजवादी पार्टी ने लगातार आपत्तियां की थीं. चुनाव के दौरान लखनऊ में डीआईजी लक्ष्मी सिंह का लगातार शिकायतें करने के बावजूद स्थानांतरण नहीं किया गया, जबकि सरोजनी नगर क्षेत्र में उनके पति बीजेपी प्रत्याशी थे. वर्षों से एक ही जगह जमे कई अधिकारियों को भी हटाया नहीं गया. कई जगह पति-पत्नी दोनों अधिकारी चार्ज संभाल रहे थे, पर उनको भी वहां रहने दिया गया.'
हजारों मतदान केंद्र क्यों बदल दिए गए
अखिलेश यादव ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में हजारों मतदेय स्थल भी क्यों बदल दिए गए? इससे कई मतदाता भटकते रहे. तमाम मतदाताओं के नाम सूची से बाहर हो गए. शासन-प्रशासन, मशीनरी द्वारा मतदान में देरी की गई और मनमाने तरीके से मतदान कराया गया.
मतदाता सूची में क्यों पाया जाता है अंतर
सपा चीफ ने कहा, "कई जगह पीठासीन अधिकारी के पास की सूची और अंतिम सूची में भी अंतर क्यों पाया जाता है? अभी अंतिम मतदाता सूची बनी नहीं, मतदान की प्रक्रिया की घोषणा भी नहीं हुई लेकिन बीजेपी नेता नगर निगम के सभी 17 स्थानों पर काबिज हो जाने का दावा कैसे कर सकते हैं? चुनाव अधिकारी को इसका संज्ञान लेना चाहिए कि कहीं यह विधानसभा चुनाव 2022 की तरह निकाय चुनाव में भी धांधली का भाजपाई एजेंडा तो नहीं है?"
सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है बीजेपी
अखिलेश यादव ने कहा कि वर्तमान बीजेपी सरकार की साजिशों के चलते देश में लोकतंत्र का क्या होगा? भाजपा को केवल सत्ता चाहिए उसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है, इसलिए समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं को सतत सजग-सतर्क रहना है.
चुनाव आयोग ने 10 नवंबर तक मांगे हैं सबूत
चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव को 27 अक्टूबर को नोटिस जारी किया है. आयोग ने अखिलेश यादव से यूपी में हर विधानसभा सीट पर मतदाता सूची से यादव और मुस्लिम समुदाय के लगभग 20,000 मतदाताओं को कम करने के आरोप को प्रमाणित करने के लिए सबूत पेश करने के लिए कहा है. अखिलेश यादव को 10 नवंबर तक सबूत पेश करने के लिए कहा गया है.
अखिलेश ने आयोग पर लगाए हैं ये आरोप
अखिलेश यादव ने 29 सितंबर को चुनाव आयोग पर यूपी चुनाव में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया था. सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन में अखिलेश यादव ने आरोप लगाते हुए कहा था कि चुनाव आयोग ने बीजेपी और उसके पन्ना प्रमुखों के निर्देश पर लगभग हर विधानसभा सीट पर यादवों और मुसलमानों के कम से कम 20,000 वोट का दिए.
मैं पहले भी कह चुका हूं मैं इसे फिर से कहूंगा कि अगर जांच होती है तो पता चलेगा कि हमारे 20,000 वोट खारिज कर दिए गए और कई लोगों के नाम हटा दिए गए. कुछ लोगों को एक बूथ से दूसरे बूथ पर ट्रांसफर कर दिया गया.
अखिलेश ने कहा था- यूपी में जो सरकार बनी है, वह जनता की बनाई हुई नहीं है. ये सरकार आपकी छीनी है इन्होंने. सरकार समाजवादियों की बन गई थी यूपी में, लेकिन पूरी की पूरी मशीनरी लगाकर आपकी सरकार छीनी गई. इलेक्शन कमीशन ने बीजेपी के इशारे सपा के वोटरों के वोटर लिस्ट से नाम काटे.