स्टूडेंट्स को फ्री लैपटॉप देने की अखिलेश यादव सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को भी आखिरकार भ्रष्ट लोगों ने 'ऊपरी' कमाई का जरिया बना लिया है.
अभी तक सूबे के अलग-अलग जिलों में लैपटॉप पाने वालों की सूची में नाम दर्ज कराने के एवज में पैसे मांगे जाने की शिकायतें तो मिल रही ही थीं लेकिन संतकबीर नगर में पुलिस ने स्टूडेंट्स को फ्री बांटे जाने वाले लैपटाप को बाजार में बेचने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. इसके बाद से लखनऊ से लेकर संतकबीर नगर के प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है.
संतकबीरनगर के एसपी पियूष श्रीवास्तव के मुताबिक पिछले कई दिनों से जिले में सरकारी योजना के तहत बंटने वाले फ्री लैपटाप के बेचे जाने की अपुष्ट सूचनाएं मिल रही थीं जिनपर क्राइम ब्रांच की टीम नजर रखे हुए थी. 13 सितंबर को क्राइम ब्रांच के दस्ते को सूत्र से जानकारी मिली कि सरकारी लैपटाप को बेचने के लिए कुछ लोग दोपहर में संतकबीर नगर के कटका इलाके में आ रहे हैं. ये लैपटॉप खलीलाबाद बाजार में बेचे जाएंगे.
इसके बाद क्राइम ब्रांच के प्रभारी ने घेरेबंदी करके बयारा चौराहे से पहले रेलवे क्रासिंग मोड़ के पास बाइक सवार तीन युवकों को पकड़ा. तलाशी में इन युवकों के पास से छह सरकारी लैपटॉप, कुछ मोहरें और रुपए बरामद हुए. पुलिस की पूछताछ में युवकों ने बताया कि उन्होंने ये लैपटॉप जीएस महाविद्यालय, जामडीह में क्लर्क एन. एन. पांडेय से 8 हजार रुपए प्रति लैपटॉप की दर से खरीदे थे. इन्हें जिले में कोतवाली रोड पर स्थित एक दुकान पर 10 हजार रुपए में बेचने की योजना थी. इस दुकान में लैपटॉप को फार्मेट कर उनपर से अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव की फोटो हटाकर 12 से 15 हजार रुपए में बेचा जाता था. पुलिस ने उक्त सभी लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी है.
बाजार में लैपटॉप बेचे जाने की सूचना मिलते ही 14 सितंबर को मुख्यमंत्री कार्यालय ने डीएम संतकबीर नगर से एक विस्तृत रिपोर्ट तलब की. इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के एक बड़े अधिकारी बताते हैं कि शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि ये लैपटाप संतकबीर नगर में न बेच कर लखनऊ, कानपुर और यहां तक दिल्ली भेजे जा रहे हैं. जीएस महाविद्यालय का क्लर्क एन. एन. पांडेय स्टूडेंट्स से संपर्क कर उन्हें सरकारी लैपटाप बेचने का लालच देता था.
पुलिस यह पता करने में जुटी है कि अभी तक कुल कितने स्टूडेंट्स ने अपने लैपटॉप बेचे हैं. उधर, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने संतकबीर नगर और आसपास के जिलों में अब तक बंटे लैपटॉप का सत्यापन करने के निर्देश जारी किए हैं. जानकारी के मुताबिक शासन इस पूरे मामले को एसटीएफ को सौंपने का विचार कर रहा है ताकि इसके सूत्रधार समेत पूरे नेटवर्क का पता लगाया जा सके.