दादरी के बिसहड़ा गांव में मोहम्मद अखलाक की हत्या के आरोपी पंद्रह युवकों को नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) लिमिटेड में कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी मिली है. 28 सितंबर, 2015 में गाय का मांस रखने के शक में अखलाक को भीड़ ने पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया था.
खबर है कि बीजेपी विधायक तेजपाल सिंह नागर ने 9 अक्टूबर को NTPC के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर इन युवकों की भर्ती में मदद की है. आरोपियों को पिछले छह महीनों में कई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट भी शामिल है.
नौकरी का ऑफर महारत्न कंपनी की उस स्कीम के जरिए मिला, जिसमें कंपनी के प्रोजेक्ट से प्रभावित लोगों को रोजगार देने का नियम है. बिसाहड़ा गांव NTPC प्लांट के पास है और इसके लिए कई ग्रामीणों की जमीन तीन दशक पहले ली गई थी.
विधायक नागर ने बताया कि उन्होंने NTPC मैनेजमेंट से युवकों को कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी देने का आग्रह किया था. विधायक के मुताबिक अखलाक हत्या के आरोपी निर्दोष हैं. आपको बता दें कि बीजेपी विधायक तेजपाल सिंह नागर इस मामले में मुख्य आरोपी के भाई हैं.
आज भी इस बात पर संशय कायम है कि मोहम्मद अखलाक के घर में मिला मांस का टुकड़ा बीफ था या मटन. इस मामले में यूपी पुलिस की शुरुआती जांच रिपोर्ट में उसे मटन बताया गया था. लेकिन इसी बीच मथुरा के फॉरेंसिक लैब से आई रिपोर्ट में कहा गया कि अखलाक के घर मिला मांस गोमांस ही था. इसके बाद यूपी पुलिस ने बताया कि उन्हें अखलाक के परिवार द्वारा गोकशी करने का कोई प्रामाणिक सबूत नहीं मिला.
तारीख-दर-तारीख जानिए पूरा घटनाक्रम
28 सितंबर, 2015: यूपी के दादरी के बिसहड़ा गांव में मो. अखलाक को घर में बीफ रखने के आरोप में कुछ लोगों ने उसकी हत्या कर दी.
6 अक्टूबर, 2015: केंद्र सरकार को भेजे गए रिपोर्ट में यूपी सरकार ने अखलाक के घर मिले मीट के सैम्पल को बकरे का मांस बताया था.
24 दिसंबर, 2015: यूपी पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया. इसमें 15 लोगों को नामजद करते हुए बीफ को अफवाह बताया.
31 मई, 2016: मथुरा की फॉरेंसिक लैब रिपोर्ट ने पुष्टि की कि अखलाक के फ्रिज से लिया गया मीट का सैंपल गौमांस ही था.
9 जून, 2016: मथुरा लैब की रिपोर्ट के आधार पर बिसहड़ा के लोगों ने कोर्ट में अखलाक के परिवार के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी.
14 जुलाई, 2016: स्थानीय अदालत ने अखलाक के परिजनों के खिलाफ गोहत्या का केस दर्ज करने का आदेश दिया था.
16 सितंबर, 2016: अखलाक के परिजनों के खिलाफ गोहत्या मामले में आईपीसी की धारा 3/8 और 3/11 के तहत केस दर्ज.
23 सितंबर, 2016: इस मामले में कोर्ट में सुनवाई जज के छुट्टी पर होने के कारण टाल दी गई.
27 सितंबर, 2016: यूपी पुलिस ने कहा कि अखलाक के परिवार द्वारा गोकशी करने का कोई प्रामाणिक सबूत नहीं मिला.