अली जैदी उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं. अली जैदी के अध्यक्ष चुने जाने के बाद सैयद वसीम रिजवी और उनके समर्थकों का पत्ता साफ हो गया है.
बताया जा रहा है कि चुनाव में आठ में से छह सदस्य आए थे, चुनाव कुल 8 सदस्यों में होना था. मुतव्वल्ली कोटे से चुनकर आए सदस्य वसीम रिजवी और सैयद फैजी ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया.
हाई कोर्ट में वसीम रिजवी के बाद सैयद फैजी ने शिया वक्फ बोर्ड के इलेक्शन को रोकने के लिए याचिका डाली थी. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इलेक्शन को रोकने से इनकार दिया. सोमवार को हुए चुनाव के बाद वसीम रिजवी की 14 साल बाद शिया वक्फ बोर्ड से छुट्टी हो गई. वसीम रिजवी ने पूरी चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं.
कहा जा रहा था कि इस बार वसीम रिजवी खुद के बजाय बीजेपी नेता सैय्यद फैजी को शिया वक्फ बोर्ड की कुर्सी पर बैठाना चाहते थे जबकि मौलाना कल्बे जव्वाद अपने करीबी अली जैदी और पूर्व सांसद नूरबानो में से किसी एक को अध्यक्ष देखना चाहते हैं.
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक़्फ़बोर्ड के चेयरमैन श्री अली जैदी सहित सारे जीते हुए सदस्यों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। pic.twitter.com/wmwuHVS28s
— Mohsin Raza (@Mohsinrazabjpup) November 15, 2021
योगी सरकार में मंत्री मोहसिन रजा ने उन्हें बधाई दी है. बता दें कि उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड पर काबिज होने को लेकर पिछले कई डेढ़ दशक से मौलाना कल्बे जव्वाद और वसीम रिजवी के बीच सियासी वर्चस्व की जंग जारी थी.
मायावती सरकार के दौरान शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन बने वसीम रिजवी को अखिलेश यादव की सरकार में हटवाने के लिए मौलाना कल्बे जव्वाद ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था, मगर आजम खान के चलते उनकी नहीं चली और वसीम रिजवी चुनाव जीतकर फिर चेयरमैन बन गए. योगी आदित्यनाथ की सरकार में भी वसीम रिजवी को हटाने के लिए मौलाना कल्बे जव्वाद ने काफी संघर्ष किया, पर रिजवी को हिला नहीं सके, लेकिन अब खेल बदल गया है.