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फेसबुक पोस्ट के चलते AMU प्रोफेसर सस्पेंड, शहर से बाहर जाने पर रोक

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक एसोसिएट प्रोफेसर को फेसबुक पर टिप्पणी के चलते सस्पेंड कर दिया गया है. प्रोफेसर ने यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर (वीसी) के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसके बाद वीसी ने यह फैसला लिया. वीसी ने प्रोफेसर को निलंबित करने के साथ उनके शहर से बाहर जाने पर भी रोक लगा दी है.

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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक एसोसिएट प्रोफेसर को फेसबुक पर टिप्पणी के चलते सस्पेंड कर दिया गया है. प्रोफेसर ने यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर (वीसी) के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसके बाद वीसी ने यह फैसला लिया. वीसी ने प्रोफेसर को निलंबित करने के साथ उनके शहर से बाहर जाने पर भी रोक लगा दी है.

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यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर अली नदीम रिजवी ने फेसबुक पर लिखा, 'माफ करना आप जैसे हजार मिलकर भी इरफान हबीब से मुकाबला नहीं कर पाएंगे. आप से पहले वाले लुटिया चोर थे और आप बेअक्ल.'

इस पोस्ट के बाद वाइस चांसलर ने रिजवी को अपने दफ्तर में तलब किया और इस बारे में पूछा. रिजवी का आरोप है कि वीसी ने उनके साथ सही व्यवहार नहीं किया और धमकाते हुए उन्हें कार्यालय से बाहर जाने को कह दिया.


                                              यही है विवादास्पद पोस्ट

इस पोस्ट को विश्वविद्यालय प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए एग्जीक्यूटिव काउंसिल की विशेष बैठक बुलाई. बैठक में इस कमेंट की कड़ी निंदा की गई और वाइस चांसलर को अधिकृत किया गया कि वे आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करें. इसके बाद गुरुवार को वीसी ने उन्हें सस्पेंड कर दिया.

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बैठक में यह भी तय हुआ था कि अगर प्रोफेसर सोशल साइट का प्रयोग इस तरह की गतिविधियों में करते हैं तो उनके खिलाफ साइबर कानून के तहत एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी. उधर प्रोफेसर रिजवी का कहना है कि फेसबुक पर अपने दोस्तों के बीच अपनी भावनाएं व्यक्त करना कोई गुनाह नहीं हैं. गुनाह दूसरों की टाइमलाइन में छिपकर झांकना है.

उन्होंने कहा, 'हम हिंदुस्तान में रहते हैं पाकिस्तान में नहीं. विश्वविद्यालय में खुला माहौल होता है और एक शिक्षक को अपनी राय रखने की आजादी है.' रिजवी ने पूरे मामले से टीचर्स एसोसिएशन को भी अवगत करा दिया है.

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