उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक स्कूल के दो शिक्षकों को दलित होने की वजह से अपनी नौकरी गंवानी पड़ी. यह आरोप दोनों शिक्षकों ने लगाया है, जिसके बाद स्कूल प्रिंसिपल ने कहा है कि टीचरों को निकाला नहीं गया है, केवल रोका गया है. इस मामले में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी स्मिता सिंह ने कहा कि हम जांच करेंगे और रिपोर्ट भेजेंगे.
अलीगढ़ में संचालित एमए इस्लामिया हाईस्कूल में पढ़ाने वाले दो शिक्षकों को नौकरी से निकाले जाने का मामला सामने आया है. शिकायतकर्ता शिक्षक ने स्कूल प्रबंधन पर जाति को लेकर स्कूल से निकाले जाने का आरोप लगाया है. शिक्षक राहुल के अनुसार उसे व उसके एक अन्य दलित शिक्षक को इसलिए नौकरी से निकाल दिया क्योंकि वह दलित हैं.
शिकायतकर्ता शिक्षक राहुल ने बताया, 'प्रिसिंपल ने मुझे और मेरे एक साथी टीचर को अपने केबिन में बुलाया गया और कहा कि अब हम आपकी सेवाएं नहीं ले सकते हैं और आप अपना हिसाब कर लीजिए हमने जब उनसे पूछा कि ऐसा आप क्यों कर रहे हैं तो उन्होंने बताया कि अब हम यहां पर सिर्फ़ मुस्लिम कम्यूनिटी के टीचर्स को ही रखेंगे.'
हालांकि, स्कूल प्रिंसिपल जफरुद्दीन मालिक ने कहा कि दो शिक्षकों को निकाला नहीं गया है अभी रोका गया है, क्योंकि जो गाइडलाइंस हैं उसके हिसाब से मदरसा बोर्ड से पढ़े हुए शिक्षकों को ही रखा जा सकता है इसलिए कुछ लोग और भी हैं, उनको भी अभी रोका गया है, प्रशासन ने हमें सभी शिक्षकों को मदरसा बोर्ड के मापदंड के हिसाब से रखने के लिए कहा है.
इस मामले में अलीगढ़ की अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी स्मिता सिंह ने कहा कि प्रबंधन चाहे तो टीचरों को रखे या न रखे, मदरसा मान्यता प्राप्त है, उसको सरकारी ऐड नहीं मिलता है, पूरे प्रकरण की जांच की जाएगी, मैनेजमेंट कमेटी ने किस आधार पर 2 टीचर को निकाला है? इसकी जांच करके रजिस्ट्रार महोदय को रिपोर्ट प्रेषित करेंगे.
पूरे प्रकरण पर अब राजनीति भी शुरू हो गई है. अलीगढ़ की पूर्व मेयर व भाजपा नेता शकुंतला भारती ने कहा कि मान्यता प्राप्त विद्यालय है, उनको तो निकालने का कोई अधिकार ही नहीं है, दूसरी चीज कि इनकी नियत गंदी, सोच गंदी, जहनियत गंदी इनको क्या डर था, ऐसी कौन सी शिक्षा वहां पर दी जा रही है, जिसके डर की वजह से हिंदू टीचरों को निकाला गया है.