ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने बाबरी विध्वंस मामले में अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए हैरानी जताई है. AIMPLB के सचिव मौलाना वली रहमानी ने पत्र जारी करते हुए कहा कि सीआईबी अदालत का फैसला नाइंसाफी की एक मिसाल है. मौलाना वली रहमानी ने अदालत के फैसले पर कहा कि क्या मस्जिद को किसी गैयबी ताकत ने शहीद किया.
AIMPLB ने केंद्रीय जांच एजेंसी से इस फैसले के खिलाफ अपील करने का अनुरोध किया. मौलाना वली रहमानी ने दावा किया कि यह फैसला न्याय से कोसों दूर है. यह न तो सबूत और न ही कानून पर आधारित है. उन्होंने कहा कि आरोपियों को बरी करने का जो भी कारण हो, लेकिन हम सबने विध्वंस के वीडियो एवं तस्वीरें देखी हैं.
बता दें कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने के मामले को लेकर लखनऊ की सीबीआई अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया. 28 साल बाद इस केस में सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला आया जिसमें कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं. लिहाजा, सभी 32 आरोपियों को बरी किया जाता है.
जमीअत उलमा ए हिन्द ने क्या कहा
जमीअत उलमा ए हिन्द के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि दिन की रोशनी में बाबरी मस्जिद को शहीद किया गया. दुनिया ने देखा कि किन लोगों ने अल्लाह के घर को अपवित्र किया और उसे ध्वस्त कर दिया. दुनिया ने यह भी देखा कि किन लोगों के संरक्षण में मस्जिद शहीद हुई और कौन लोग उत्तर प्रदेश की सत्ता पर विराजमान थे. इसके बावजूद सीबीआई ने जो फैसला सुनाया वह हैरान करने वाला है.
मौलाना मदनी ने कहा कि 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि संपत्ति अधिकार मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए यह माना था कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़कर नहीं किया गया था, इसलिए बाबरी मस्जिद के अंदर मूर्ति रखने और फिर उसे तोड़ने को आपराधिक कार्य करार दिया था और यह भी कहा था कि जिन लोगों के उकसाने पर यह काम किया गया वह भी मुजरिम हैं, फिर सवाल यह है कि जब बाबरी मस्जिद शहीद की गई और शहीद करने वाले मुजरिम हैं तो फिर सीबीआई की नजर में सब निर्दोष कैसे हो गए?