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'शादी के लिए धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं', इलाहाबाद HC ने खारिज की धर्मांतरण के आरोपी की जमानत याचिका

जावेद उर्फ जाविद अंसारी पर अपहरण, षड्यंत्र और धर्मांतरण का आरोप है. इतना ही नहीं जावेद पर इच्छा के विरुद्ध झूठ बोल कर धर्मांतरण कराकर निकाह करने का भी आरोप लगा है. इन मामलों में जमानत के लिए जावेद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी.

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प्रतीकात्मक
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • HC ने खारिज की धर्मांतरण के आरोपी की जमानत याचिका
  • पीड़िता का आरोप- अपहरण कर किया निकाह

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शनिवार को अपहरण, षड्यंत्र और धर्मांतरण कानून के आरोपी को लेकर अहम फैसला सुनाया. साथ ही कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, हर नागरिक को किसी धर्म को अपनाने का अधिकार है. अपनी मर्जी से शादी करना संवैधानिक अधिकार है. कोर्ट ने आगे कहा कि शादी एक पवित्र संस्कार है, शादी के लिए धर्म बदलना शून्य व स्वीकार्य नहीं हो सकता. 

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जावेद उर्फ जाविद अंसारी पर अपहरण, षड्यंत्र और धर्मांतरण का आरोप है. इतना ही नहीं जावेद पर इच्छा के विरुद्ध झूठ बोल कर धर्मांतरण कराकर निकाह करने का भी आरोप लगा है. इन मामलों में जमानत के लिए जावेद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी. 

उर्दू में लिखे कागज पर कराए दस्तखत- पीड़िता का आरोप

इस मामले में पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया है कि जावेद ने सादे और उर्दू में लिखे कागज पर दस्तखत कराए. इतना ही नहीं जावेद ने यह बात भी छिपाई कि वह पहले से शादीशुदा है और उसने झूठ बोलकर धर्म बदलवाया. पीड़िता ने आरोप लगाया है कि वह 17 नवंबर 2020 को शाम 5 बजे जलेसर बाजार गई थी. तभी कुछ लोगों ने उसे जबरन गाड़ी में डाल लिया और दूसरे दिन जब उसे होश आया, तो वह वकीलों की भीड़ में कड़कड़डूमा कोर्ट में थी. यहां उससे कागजों पर दस्तखत लिए गए और 18 नवंबर को धर्मांतरण कराया गया. 28 नवंबर को निकाह किया गया. 

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आरोपी ने कहा- हम दोनों बालिग, मर्जी से हुई शादी

वहीं, जावेद ने कोर्ट में अपने पक्ष में कहा,  दोनों बालिग हैं और अपनी मर्जी से धर्म बदलकर शादी की है. इसके अलावा धर्मांतरण कानून लागू होने से पहले ही धर्म बदल लिया गया था.

कोर्ट ने लगाई फटकार

इस मामले की सुनवाई जस्टिस शेखर कुमार यादव की एकल पीठ में हुई. इस दौरान जस्टिस यादव ने कहा, संविधान सबको सम्मान से जीने का अधिकार देता है, सम्मान के लिए लोग घर छोड़ देते हैं, अपमान के लिए धर्म बदल लेते हैं, धर्म के ठेकेदारों को अपने में सुधार लाना चाहिए, क्योंकि बहुल नागरिकों के धर्म बदलने से देश कमजोर होता है.

कोर्ट ने कहा, विघटनकारी शक्तियों को इसका लाभ मिलता है, इतिहास गवाह है कि हम बंटे, देश पर आक्रमण हुआ और हम गुलाम हुए. सुप्रीम कोर्ट ने भी धर्म को जीवन शैली माना है. जस्टिस यादव ने कहा, आस्था व विश्वास को बांधा नहीं जा सकता, इसमें कट्टरता, भय लालच का कोई स्थान नहीं है, कोर्ट ने कहा कि शादी एक पवित्र संस्कार है, शादी के लिए धर्म बदलना शून्य व स्वीकार्य नहीं हो सकता. 

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