इलाहाबाद हाईकोर्ट में सपा नेता व पूर्व मंत्री आजम खान की जमानत पर 40 पन्ने का फैसला सुनाया है. जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की बेंच ने सपा नेता आजम खान को अंतरिम जमानत देते हुए उन पर तल्ख टिप्पणी भी की. उन्होंने कहा, आजम खान ने सत्ता के नशे में मदहोश होकर अपने पद का दुरुपयोग किया था. कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि आजम अपने सपनों को पूरा करने के लिए जौहर यूनिवर्सिटी के नाम पर कारोबारी की तरह काम करते रहे. इस मामले में कई जगह ठगने जैसा काम किया गया है.
खराब सेहत की वजह से मिली अंतरिम जमानत
हाई कोर्ट ने कहा कि आजम खान जब विवादित जमीन सरकारी अमले को कब्जे में दे देंगे तभी उन्हें नियमित जमानत मिलेगी. जमानत किसी भी बंदी का अधिकार है और जेल अपवाद होती है. आजम खान को उनकी 72 साल की उम्र और खराब स्वास्थ्य की वजह से अंतरिम जमानत दी जा रही है.
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एक साल में ट्रायल पूरा करे निचली अदालत
हाई कोर्ट ने आजम को सशर्त अंतरिम जमानत दी है. कोर्ट ने जमानत के लिए पासपोर्ट जमा करने को कहा है. इसके साथ ही नियमित रूप से संबंधित कोर्ट या थाने में खुद पेश होकर या वकील के जरिए उपस्थिति दर्ज कराने को भी कहा है. वहीं हाईकोर्ट ने निचली अदालत को इस केस का ट्रायल एक साल में पूरा करने के निर्देश भी दिए हैं.
पूर्ण शक्ति इंसान को पूरी तरह से कर देती है भ्रष्ट
हाई कोर्ट ने आगे कहा कि कैबिनेट मंत्री के पद पर बैठा व्यक्ति जब कपटपूर्ण आचरण करता है तो उससे जनता का विश्वास डगमगा जाता है. शक्ति मनुष्य को भ्रष्ट करती है और अगर पूर्ण शक्ति मिल जाए तो उसे पूरी तरह से भ्रष्ट कर देती है. पूर्ण शक्ति मिलने पर आदमी भगवान को भी नहीं छोड़ता.
सत्ता में बैठे लोग शक्ति का करते हैं गलत इस्तेमाल
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आगे कहा कि आमतौर पर ऐसा होता है कि जो लोग सत्ता में होते हैं उनके मन में अक्सर लोगों का हित नहीं होता है. वह मुख्य रूप से खुद के लाभों पर केंद्रित होते हैं. खुद की मदद करने के लिए अपनी स्थिति व शक्ति का दुरुपयोग करते हैं.
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यूनिवर्सिटी के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया
हाई कोर्ट ने कहा कि केवल वस्तु ही पवित्र नहीं होनी चाहिए बल्कि उसके साधन भी सही और पारदर्शी होने चाहिए. यूनिवर्सिटी का निर्माण एक अच्छा काम लेकिन उसे तैयार करने में उपयोग किए गए साधन व कदम सही नहीं हैं. आजम ने यूनिवर्सिटी की स्थापना और संचालन के लिए अवैध व गलत तरीकों को भी इस्तेमाल किया. यूनिवर्सिटी को अपनी जागीर समझा और इसी नाते स्थायी कुलाधिपति भी बन गए.
आजम यूनिवर्सिटी के बहाने कर रहे थे व्यापार
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना व्यापार कतई नहीं हो सकता क्योंकि इसका पहला लक्ष्य और कर्तव्य ज्ञान सिखाना होता है. ऐसा लगता है कि आजम यूनिवर्सिटी की स्थापना के भेष में व्यापार कर रहे थे और गलत तरीके से एक खाली जमीन को हथियाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया.
शासक धर्म को मानते हैं उपयोगी: कोर्ट
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और ब्रिटिश इतिहासकार लाड एक्टन के संदेशों का उदाहरण दिया. कोर्ट ने कहा कि धर्म की आड़ में अवैध तरीके से जमीन हड़पना कतई ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि धर्म को आम लोग सत्य, बुद्धिमान लोग असत्य और शासक उपयोगी मानते हैं.