नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी के विरोध में धरना-प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ दर्ज मुकदमे रद्द करने की मांग की गई है. इलाहाबाद हाई कोर्ट में इसे लेकर याचिका दायर की गई है. हाई कोर्ट ने शनिवार को सुनवाई करते हुए राज्य की योगी सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने अगली सुनवाई तक याचियों के उत्पीड़न पर रोक लगा दी है.
याचिका एजाज अहमद और अन्य की ओर से दाखिल की गई है. याचीगण सीएए-एनआरसी के विरोध में प्रयागराज के मंसूर अली पार्क में धरना दे रहे थे. याचिकाकर्ता सहित 26 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है.
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हत्या का प्रयास, मारपीट, विधि विरुद्ध जमाव और सात क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट की धाराओं में मुकदमा दर्ज है. याचिकाकर्ता का कहना है कि वह मौके पर नहीं था. याची व अन्य प्रदर्शनकारियों के पास से कोई आपत्तिजनक बरामदगी भी नहीं हुई है. जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई.
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को आए हुए एक साल हो चुका है. सरकार ने पिछले साल इससे जुड़े बिल को पास किया था. हालांकि इसके बाद पूरे देश में धरना प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया था. दिल्ली के शाहीन बाग और देश के कई अन्य हिस्सों में भी शाहीन बाग की तर्ज पर धरना प्रदर्शन किए गए. उत्तर प्रदेश में भी लखनऊ के घंटाघर, अलीगढ़ विश्वविद्यालय और इलाहाबाद पार्क में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया था.
लखनऊ का घंटाघर और प्रयागराज पार्क का आंदोलन तो कोरोना के लॉकडाउन शुरू होने के बाद ही खत्म हो सका. सीएए और एनआरसी के खिलाफ लखनऊ में एक बड़ी हिंसा भी दिखी. यह हिंसा लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फैली. 19 दिसंबर से 10 जनवरी तक चले हिंसा के इस दौर में 23 लोगों की जानें भी गईं.