मुस्लिम धर्मगुरुओं ने शुक्रवार को एक सुर में मुजफ्फरनगर हिंसा के लिए प्रशासनिक लापरवाही को जिम्मेदार मानते हुए भीड़ को हिंसा के लिए भड़काने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. सुन्नी धर्म गुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि प्रशासन के पास सारी खुफिया जानकारी पहले से थी. अगर वक्त रहते ध्यान दिया जाता तो हिंसा को रोका जा सकता था. महापंचायत होने के बाद ही जिले में हालात बिगड़े.
महली ने कहा कि जिन प्रशासनिक अधिकारियों ने महापंचायत की इजाजत दी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही सरकार पूरी संजीदगी से उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे, जिन्होंने भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया. ये लोग चाहे जिस धर्म के हों. साथ ही हिंसा के पीड़ितों की मदद और मुजफ्फरनगर में आपसी सौहार्द्र के लिए ठोस कदम उठाए जाएं.
दुनियाभर में इस्लामी शिक्षा के लिए विख्यात दारुल उलूम देवबंद (सहारनपुर) के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने कहा कि दारुल उलूम की मांग है कि पूरी घटना की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) से कराई जाए. सीबीआई जांच से ही हिंसा भड़काने वाले असली गुनहगारों के चेहरे सामने आ सकेंगे. उस्मानी ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों पर कड़ी नजर रखी जाए, जिनके लापरवाह रवैये के चलते साजिश करने वाले लोग सफल हो गए. हिंसा में जिन लोगों को जान-माल का नुकसान हुआ है, सरकार उनकी मदद करे और इलाके में शांति बहाली के लिए ठोस कदम उठाए.
शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि हिंसा की साजिश करने वालों पर कठोर कार्रवाई हो, चाहे वे जितने ताकतवर हों और चाहे जिस धर्म से हों. ये लोग इंसानियत के दुश्मन हैं.
जव्वाद ने कहा कि सरकार पीड़ितों के पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाए. जो लोग घर छोड़कर चले गए हैं उन्हें भरोसा दिलाकर वापस लाया जाए और उनकी सुरक्षा और आर्थिक मदद की जाए.
आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्षा शाइस्ता अंबर ने कहा कि मुजफ्फरनगर हिंसा के पीछे राजनीतिक साजिश है. साजिश के तहत लोगों को आपस में लड़ाकर राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश की गई.
उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन का पूरे मामले पर लापरवाह रवैया रहा. हिंसा को समय रहते रोकने के बजाय प्रशासन मूक दर्शन बना रहा. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि राजनीतिक फायदे के लिए प्रशासन को ढुलमुल रवैया अपनाने को कहा गया हो. जांच कर दोषी लोगों और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
अंबर ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव तक उत्तर प्रदेश के संवेदनशील स्थानों पर सेना की तैनाती की जाए, जिससे कि राजनीतिक दल फिर से दो समुदायों को आपस में लड़ाने की साजिश करके चुनाव में लाभ न उठा पाए.
उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर के कवाल इलाके में लगभग दो सप्ताह पूर्व छेड़छाड़ की एक घटना के बाद भड़की हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी. इसी घटना को लेकर गत शनिवार को महापंचायत बुलाई गई थी. महापंचायत से लौट रहे लोगों पर शरारती तत्वों ने पथराव किया, जिसके बाद जिले में हिंसा भड़क उठी. हिंसा जिले के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैल गई.