चुनाव की घोषणा होने के बाद राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने अमर सिंह और जया प्रदा को अपनी पार्टी में शामिल कर अब तक का सबसे बड़ा उलटफेर कर सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी है.
आरएलडी ने एक तरफ ग्लैमर, तो दूसरी तरफ जाटों की जमीन पर जाट-ठाकुर गठजोड़ का चुनावी दांव खेला है. अजीत सिंह के इस कदम से मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट-ठाकुर समीकरण पर कब्जा जमाने की जुगत में जुटी बीजेपी के माथे पर भी शिकन पड़ गई है. जातिगत आंकड़ों के लिहाज से फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट आरएलडी के लिए मुफीद है.
कांग्रेस-आरएलडी गठजोड़ में इस सीट पर कांग्रेस अपना ही प्रत्याशी चुनावी उतारना चाहती थी. सोमवार सुबह सियासी फेरबदल हुआ और सीट आरएलडी के पाले में आ गई. दोपहर होते-होते इस सीट पर अमर सिंह को चुनावी मैदान में उतारने पर मुहर लग गई.
पिछले दिनों हुई संकल्प रैली में बिखरे जनाधार को फिर से जुटता देख अजित सिंह भी इस सीट पर दांव खेलना चाहते थे. पिछले चुनाव में गठबंधन होने के कारण यह सीट बीजेपी के खाते में थी. हालांकि साल 2012 के विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र की पांचों विधानसभा सीटों पर आरएलडी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. सीकरी लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा ब्राह्मण वोटर हैं. इसके बाद ठाकुर और जाट के लगभग साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोट हैं. आरएलडी की इन्हीं दोनों पर नजर हैं. जाट वोट बैंक होने के बावजूद अपना प्रत्याशी न जीत पाने का पार्टी का जो घाव था, उसे अब भरने की तैयारी है.