उत्तर प्रदेश में हाशिए पर खड़ी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संगठन को दुरूस्त करने के लिए और खोया रूतबा हासिल करने के लिए पार्टी के यूपी प्रभारी अमित शाह ने राज्य में पार्टी संगठन को मोदी के गुजरात मॉडल के तर्ज पर संवारने का काम शुरू कर दिया है. इसकी शुरुआत उन्होंने मेरठ में क्षेत्रीय बैठकों से की.
गुजरात में बीजेपी का संगठन काफी मजबूत है. वहां बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की पूरी फौज लगी रहती है, लेकिन यूपी में बीजेपी को कहीं-कहीं तो बूथों पर एजेंट तक नहीं मिलते. शाह अब यूपी में भी बीजेपी का तंत्र खड़ा करने की कोशिश में जुटे हैं.
संगठन की नब्ज टटोलने के लिए शाह ने उस पश्चिमी क्षेत्र को चुना है, जहां कुल 14 लोकसभा सीटें हैं, लेकिन बीजेपी के खाते में महज दो हैं. एक समय में बीजेपी की इस क्षेत्री में तूती बोलती थी. लेकिन आज गाजियाबाद और मेरठ के अलावा बाकी सीटें विरोधियों के पास ही हैं.
बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी अपने लखनऊ दौरे के समय कहा था कि पार्टी का लक्ष्य यूपी से 40 से अधिक सीटें जीतना है.
बीजेपी के एक नेता मानते हैं कि 40 सीटों में से कम से कम 10 तो बीजेपी के पास हैं, बाकी 30 ऐसी सीटों का ब्यौरा तैयार किया जा रहा है, जहां बीजेपी मुख्य मुकाबले में रही हो. ऐसी सीटों पर रणनीति के साथ चुनाव लड़ा जाएगा.
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, '40 सीटों पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा बीजेपी की कोशिश यह है कि सारा जोर विपक्षी दलों की चर्चित हस्तियों को हराने में लगाया जाए. बीजेपी की रणनीति यूपी में यादव परिवार की घेराबंदी करने की है क्योंकि सीधी लड़ाई सपा से ही है.'
बीजेपी सूत्रों के अनुसार इसी रणनीति के तहत अगले लोकसभा चुनाव में यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव के खिलाफ प्रख्यात अभिनेत्री हेमा मालिनी को लड़ाने पर विचार किया जा रहा है.
बीजेपी नेता के अनुसार यूपी में मुलायम सिंह के पूरे कुनबे को घेरने की कोशिश की जाएगी. इसके अलावा रायबरेली और अमेठी जैसी सीटों पर भी पार्टी जीतने के लिए न सही लेकिन बड़े नेताओं को हराने के लिए तो जोर लगा ही सकती है.
अमित शाह के बेहद करीबी इस बीजेपी नेता ने बताया कि गुजरात में बीजेपी के जीतने का नुस्खा भी यही है. वहां संगठन स्तर पर तय किया जाता है कि विरोधी दल के किन-किन नेताओं को हराना है और पार्टी एकजुट होकर पूरा जोर लगाती है. गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी वहां विपक्षी दलों के अधिकांश बड़े नेताओं को हार नसीब हुई थी.
शाह की बैठकों के बारे में इस नेता ने कहा कि मेरठ के बाद बैठकों का सिलसिला अयोध्या में होगा. बैठक का मुख्य उद्देश्य सभी जिलों में संगठन का ढांचा, बूथ, मंडल, जिला समितियों एवं मोर्चा प्रकोष्ठों की जमीनी स्थितियों का जायजा लेना है.