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बावनखेड़ी हत्याकांड: शबनम को फांसी से बचाने शख्स पहुंचा मानवाधिकार आयोग, 24 घंटे के भीतर खारिज हुई याचिका

बावनखेड़ी हत्याकांड की दोषी शबनम को फांसी देने की चर्चाएं एक बार फिर शुरू हो गई हैं. शबनम और उसके प्रेमी सलीम पर आरोप था कि दोनों ने मिलकर 7 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.

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अमरोहा हत्याकांड की मुख्य दोषी शबनम.
अमरोहा हत्याकांड की मुख्य दोषी शबनम.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शबनम और सलीम ने 7 लोगों का किया था कत्ल
  • 4 दिनों के भीतर पुलिस ने सुलझाया था केस
  • मानवाधिकार आयोग ने ठुकराई सजा माफी की मांग

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की बावनखेड़ी हत्याकांड की दोषी शबनम एक बार फिर चर्चा में है. उसे फांसी कब होगी, ये सवाल अभी भी बना हुआ है. मीडिया में शबनम की फांसी का मुद्दा जब-तब उछलता रहता है, लेकिन अब इस केस को लेकर एक बड़ा मोड़ आया है. दरअसल शबनम को फांसी के फंदे तक पहुंचाने की मांग करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दानिश खान का मन बदल गया है. 

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उन्होंने शबनम को फांसी की सजा माफ करने के लिए मानवाधिकार आयोग का रुख किया है. याचिका दर्ज होने के महज 24 घंटे बाद ही आयोग ने याचिका खारिज कर दिया है. इस जघन्य हत्याकांड की दोषी शबनम की मुश्किलें अब कम नहीं होंगी.

दरअसल जनपद रामपुर निवासी दानिश खान सोशल एक्टिविस्ट के साथ ही आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं. ये अक्सर सूचना के अधिकार के तहत स्थानीय अधिकारियों के कार्यालयों से जुड़ी सूचनाओं के साथ ही पीएमओ, राष्ट्रपति कार्यालय और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के आदेशों को लेकर भी सूचनाएं मांगते रहे हैं.

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उन्होंने पिछले दिनों जनपद अमरोहा के बावनखेड़ी नरसंहार की दोषी शबनम को शीघ्र फांसी दिए जाने की मांग की थी, जिसके बाद उसको फांसी दिए जाने को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई थीं और मीडिया का फोकस पूरी तरह से रामपुर की जेल पर हो गया था. कानूनी दांवपेच के चलते उसकी फांसी की तारीख टल गई थी.

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शबनम के बेटे ने की थी फांसी रुकवाने की अपील

शबनम जब रामपुर की जेल में बंद थी तो उसका बेटा जेल में उससे मिलने आया था. मासूम ने अपनी मां की फांसी रुकवाने के लिए राष्ट्रपति से मीडिया के माध्यम से गुहार लगाई थी, जिसके बाद सोशल एक्टिविस्ट दानिश खान का मन बदल गया और वह रिट के जरिए शबनम की फांसी की सजा को बदलने की मांग लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पहुंचे.

यूएनओ जाएंगे दानिश खान

21 फरवरी को उन्होंने आयोग में रिट फाइल किया जिसके बाद 20 मई को उनकी रिट दर्ज कर ली गई. हालांकि महज 24 घंटे में ही उनकी रिट को आयोग ने खारिज कर दिया कि यह प्रकरण उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. यह मामला न्यायालय से जुड़ा हुआ है जिसके बाद अब वह यूएनओ में जाने का मन बना चुके हैं. सोशल एक्टिविस्ट दानिश खान ने कहा कि वे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को भी एक पत्र लिखेंगे और यूनाइटेड नेशंस को भी एक पत्र फांसी की माफी के लिए भेजेंगे.

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