अमरोहा के बहुचर्चित बामनखेड़ी कांड की गुनाहगार शबनम की फांसी फिलहाल अटक गई है. ऐसा उसकी नई दया याचिका की वजह से हुआ है. दरअसल, अमरोहा कोर्ट ने डेथ वारंट जारी करने से पहले इस मामले में किसी दया याचिता लंबित होने की रिपोर्ट तलब की थी. जिसमें पता चला कि शबनम की तरफ से एक बार फिर दया याचिका राज्यपाल को डाली गई है.
ऐसे में यूपी के अमरोहा में जनपद न्यायालय द्वारा अभियोजन पक्ष से शबनम केस में किसी भी स्तर पर लंबित दया याचिका की रिपोर्ट मांगे जाने के बाद, एक बार फिर शबनम को डेथ वारंट जारी होने के मामले में राहत मिल गई. अब आगे दया याचिका की रिपोर्ट आने के बाद ही डेथ वारंट पर फैसला हो पाएगा. बता दें कि शबनम की पहली दया याचिका राष्ट्रपति द्वारा खारिज की जा चुकी है.
राजभवन से राष्ट्रपति के पास जाएगी दया याचिका
माना जा रहा है कि अपने ही परिवार के सात लोगों की जघन्य हत्या के मामले में दोषी शबनम को फांसी से बचाने के लिए ही उसके वकील ने यह नई दया याचिका रामपुर जेल के जरिए राज्यपाल के पास डलवाई है. इस दया याचिका की वजह से ही शबनम की फांसी की तारीख मुकर्रर नहीं हो पाई. अब शबनम की दया याचिका राजभवन से राष्ट्रपति के पास भेजी जाएगी. शबनम के डेथ वारंट पर अगली सुनवाई इस दया याचिका पर राष्ट्रपति के फैसले के बाद ही हो सकेगी.
आजतक से बातचीत के दौरान अमरोहा के शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) महावीर सिंह ने मंगलवार को कहा, "आज इसमें तिथि निर्धारित थी कि उनके द्वारा कोई दया याचिका या कोई अपील किसी न्यायिक स्तर पर या प्रशासनिक स्तर पर लंबित तो नहीं है. इसी बीच पता चला है कि उन्होंने पुनः एक दया याचिका राज्यपाल महोदय के पास डाली है. जो माननीय राज्यपाल महोदय के द्वारा राष्ट्रपति को जाएगी. यह रिपोर्ट हमसे मांगी गई थी कि उन्होंने दया याचिका दाखिल की है या नहीं तो इसमें इतना है कि उन्होंने पुन: राज्यपाल महोदय के पास दया याचिका डाली है. ये दया याचिका केवल शबनम के तरफ से भेजी गई है."
शबनम के बेटे ने भी लगाई थी राष्ट्रपति से गुहार
शबनम के बेटे ने राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद से अपनी मां की फांसी की सजा को माफ करने की गुहार लगा रखी है. गौरतलब है कि शबनम का नाबालिग बेटा अपनी मां से मिलने के लिए रामपुर जेल जाता रहा है.
बता दें कि शबनम के बेटे का जन्म जेल में ही हुआ था. जब वह 6 साल का हुआ तो उसे जेल से बाहर लाया गया था. जिसके बाद अमरोहा जिला प्रशासन ने एक परिवार को उसका कस्टोडियन बना दिया था. जिसके बाद वह उनके साथ ही रहता है.
मथुरा जेल में होगी फांसी
शबनम बीते 13 सालों से जेल में है. इनमें से 12 साल उसने मुरादाबाद की जेल में गुजारे हैं. जबकि बीते एक साल से शबनम रामपुर की जेल में बंद है. शबनम के डेथ वारंट पर अगर फैसला हो जाता है तो उसे रामपुर जेल से मथुरा की जेल शिफ्ट कर दिया जाएगा. क्योंकि शबनम की फांसी मथुरा की जेल में ही होनी है.
अपने प्रेमी के साथ शबनम ने किए थे 7 कत्ल
15 अप्रैल 2008 को बामनखेड़ी की रहने वाली शबनम ने अपने प्रेमी सलीम की मदद से प्रेम संबंध में बाधा बने अपने माता-पिता, दो भाई, भाभी और मौसी की लड़की के अलावा अपने सात माह के दुधमुंहे भतीजे को कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया था. निचली अदालत ने इस मामले में शबनम को फांसी की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी सजा बरकरार रखी. राष्ट्रपति ने भी शबनम की दया याचिका को खारिज कर दिया था.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से याचिका ठुकराए जाने के बाद शबनम को फांसी देने की तैयारी शुरू कर दी गई थी. रामपुर जिला कारागार में बंद शबनम को मथुरा में स्थित फांसी घर में फांसी दी जानी है. अब अगर राष्ट्रपति शबनम की दूसरी दया याचिका भी ठुकरा देते हैं तो भारत में आजादी के बाद पहली बार किसी महिला को फांसी दी जाएगी.